सार

अर्जेंटीना द्वारा जीती गई ट्रॉफी की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हाे रही है। हर दूसरा व्यक्ति इस ट्रॉफी पर लाल घेरा बनाकर नया दावा कर रहा है।

ट्रेंडिंग डेस्क. जितना दिलचस्प फीफा वर्ल्डकप का फाइनल मैच था, उतनी ही दिलचस्प इसकी ट्रॉफी बनती जा रही है। अर्जेंटीना द्वारा जीती गई ट्रॉफी की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हाे रही है। हर दूसरा व्यक्ति इस ट्रॉफी पर लाल घेरा बनाकर नया दावा कर रहा है। कई लोगों को इसमें तरह-तरह की चीजें नजर आ रही हैं। इस आर्टिकल में जानें कि फीफा वर्ल्डकप की इस ट्रॉफी को लेकर लोगों के क्या दावे हैं और क्या है ट्रॉफी में नजर आ रही आकृतियां की सच्चाई।

किसी को नजर आ रहा अखंड भारत

सोशल मीडिया पर इस ट्रॉफी पर इंडियन यूजर्स तरह-तरह के दावे कर रहे हैं। भले ही भारत फुटबॉल वर्ल्डकप से कोसों दूर है पर भारतीय यूजर्स की इस ट्रॉफी में गजब की दिलचस्पी है। दरअसल, इस ट्रॉफी में बने विश्व के नक्शे को देखकर कई भारतीय यूजर्स कह रहे हैं कि उन्हें इसमें अखंड भारत दिखाई दे रहा है, जो पहले हुआ करता था। तो वहीं एक यूजर ने चुटकी लेते हुए कहा कि उसे ट्रॉफी में रामदेव बाबा योग करते नजर आ रहे हैं।

किसी को नजर आ रहे जीजस

वहीं कुछ यूजर्स ने दावा किया कि उन्हें इस गोल्ड ट्रॉफी में विश्व को सिर पर उठाए जीजस नजर आ रहे हैं, तो किसी को भगवान गणेश की सूंढ़। कुछ यूजर्स ने कहा कि इस ट्रॉफी पर एक धर्म विशेष का प्रचार किया गया है। यूजर्स अपनी सोच और नजरिए के हिसाब से अलग-अलग दावे कर रहे हैं और इसी के साथ ट्रॉफी को लेकर सोशल मीडिया पर डिबेट शुरू हो गई है। वहीं इस बीच कुछ जानकारों ने ट्रॉफी में छिपा असली राज भी सबसे सामने लाया है।

ट्रॉफी में नजर आती है ये आकृति

दरअसल, इस ट्रॉफी को इटली के एक आर्टिस्ट ने डिजाइन किया है। हर फीफा विश्वकप में विजेता को इस नई ट्रॉफी से नवाजा जाता है। 1974 से ये नई ट्रॉफी विजेता टीमों को दी जा रही है। इसके पहले पुरानी ट्रॉफी दी जाती थी, जिसका नाम जूल्स रिमेट ट्रॉफी था। इसके बाद इटली के सिल्वियो गाजानिया ने नई ट्रॉफी को डिजाइन किया, जिसमें दो मानव आकृतियां पृथ्वी को ऊपर उठाए नजर आती हैं। इन्हीं दो आकृतियों को लेकर सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा दावे किए जा रहे है।

विजेताओं को रखने नहीं दी जाती असली ट्रॉफी

बता दें कि फीफा द्वारा 2005 में लिए गए फैसले के मुताबिक अब वर्ल्ड कप की असली ट्रॉफी विजेताओं को रखने नहीं दी जाती है। उसे फीफा के ज्यूरिख स्थित हेडक्वार्टर में ही रखा जाता है। विजेता टीम को जीत के बाद कुछ समय के लिए असली ट्रॉफी दी जाती है। इसके बाद इसकी जगह उसकी कॉपी (Replica) दी जाती है जो ब्रॉन्ज की बनी होती है और उसपर सोने की परत लगी होती है। केवल वर्ल्डटूर या वर्ल्डकप की शुरुआत के दौरान ही असली ट्रॉफी को निकाला जाता है।

 

6 किलो सोने से बनी है असली ट्रॉफी

फीफा वर्ल्ड कप की इस ट्रॉफी का वजन 6.175 kg है। इसे बनाने के लिए 18 कैरेट सोने का इस्तेमाल किया गया है। 1994 में इसमें थोड़ा बदलाव किया गया था, जिसमें विजेता टीमों का नाम लिखने के लिए ट्रॉफी के निचले हिस्से में एक प्लेट जोड़ी गई थी। 2005 के बाद से फीफा ने नियम बनाया था कि विजेताओं को जीत के बाद असल ट्राॅफी रखने नहीं दी जाएगी बसकी उसकी कॉपी दी जाएगी।

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