सार
यूरोपीय देश फिनलैंड उन देशों में से एक है जो सबसे ज्यादा खुशहाल हैं। संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट (World Happiness Report) में फिनलैंड लगातार चौथी बार दुनिया का सबसे खुशहाल देश बना है।
ट्रेंडिंग डेस्क. पूरी दुनिया में आज विश्व खुशहाल दिवस (World Happiness Day 2021) मनाया जा रहा है। ऐसे में लोगों को ये जानने की एक्साइटमेंट तो रहती है कि आखिर सबसे खुशहाल देश कौन सा है? यूं भी पिछले साल कोरोना वायरस (Coronavirus) ने पूरी दुनिया में तबाही से देशों को कई साल पीछे लाकर खड़ा कर दिया है। बड़े से बड़े देश अर्श से फर्श पर आ गए। बढ़ती बेरोजगारी और बीमारी ने लोगों को परेशान कर दिया, लेकिन भारी मुश्किलों के बावजूद भी कई देशों में लोगों का हौसला नहीं टूटा। आज हम आपको सबसे खुशहाल देशों की लिस्ट बता रहे हैं। साथ ही इसमें टॉप पर बने देश फिनलैंड के खुशहाल होने का राज भी जानिए-
यूरोपीय देश फिनलैंड उन देशों में से एक है जो सबसे ज्यादा खुशहाल हैं। संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट (World Happiness Report) में फिनलैंड लगातार चौथी बार दुनिया का सबसे खुशहाल देश बना है।
वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट में डेनमार्क दूसरे नंबर पर है। इसके बाद स्विज़रलैंड और आइसलैंड की बारी है। नीदरलैंड्स को पांचवा स्थान मिला है। टॉप 10 देशों में न्यूज़ीलैंड एकमात्र गैर-यूरोपीय देश है जिसे इस रिपोर्ट में जगह मिली है। इसके अलावा ब्रिटेन 13वें पायदान से गिरकर 17वें नंबर पर पहुंच गया है।
हैप्पीनेस रिपोर्ट में भारत का स्थान
वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट की रिपोर्ट में भारत 139वें नंबर पर है। पिछले साल भारत को 156 देशों की लिस्ट में 144वां स्थान मिला। रिपोर्ट के मुताबिक बुरूंडी, यमन, तंजानिया, हैती, मालावी, लेसोथो, बोत्सवाना, रवांडा, जिम्बॉम्बे और अफगानिस्तान भारत से कम खुशहाल देश हैं। इसी तरह पड़ोसी देश चीन पिछले साल इस सूची में 94वें स्थान पर था, जो अब 19वें स्थान पर आ गया है। नेपाल 87वें, बांग्लादेश 101, पाकिस्तान 105, म्यांमार 126 और श्रीलंका 129वें स्थान पर है।
इस आधार पर हुआ तय
वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट के लिए गैलप डेटा का इस्तेमाल किया गया। गैलप ने 149 देशों में लोगों से अपनी हैप्पीनेस को रेट करने को कहा था। इसके अलावा इस डेटा में जीडीपी, सोशल सपोर्ट। आजादी और भ्रष्टाचार का स्तर भी देखा गया और फिर हर देश को हैप्पीनेस स्कोर दिया गया। ये स्कोर पिछले तीन सालों का औसत है। सर्वे में शामिल एक तिहाई से अधिक देशों में कोरोना महामारी की वजह से नकारात्मक भावनाएं बढ़ी हैं।