सार

ज्योतिष शास्त्र में 9 ग्रह बताए गए हैं। इनमें से 7 ग्रह तो सौरमंडल में दिखाई देते हैं, लेकिन 2 ग्रहों को छाया ग्रह बताया गया है। ये छाया ग्रह ही राहु-केतु कहलाते हैं। 12 अप्रैल को राहु-केतु राशि परिवर्तन कर मेष और तुला राशि में आए हैं। ज्योतिष शास्त्र में इन दोनों ग्रहों का विशेष महत्व है।

उज्जैन. राहु-केतु के शुभ प्रभाव से कोई भी व्यक्ति भिखारी से राजा बन सकता है और अशुभ होने पर जमीन पर आ सकता है। राहु-केतु के कारण ही कुंडली में कालसर्प दोष (Kaal Sarp Dosh) का निर्माण होता है। इसे बहुत ही अशुभ योग माना गया है। जिस व्यक्ति की कुंडली में ये दोष होता है, उसे अपने जीवन में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी से जानिए जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उन्हें कौन-से उपाय (Remedies for Kaal Sarp Dosh) करने चाहिए…

1. जिसकी कुंडली में कालसर्प दोष हो, उसे प्रत्येक अमावस्या शिवलिंग पर धतूरा चढ़ाना चाहिए और 108 बार ऊं नमः शिवाय का मंत्र जाप भी करना चाहिए। इसके बाद चांदी से निर्मित नाग-नागिन का जोड़ा भी शिवलिंग पर चढ़ाएं।
2. प्रत्येक सोमवार को 108 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। हर मंत्र के बाद एक बिल्वपत्र भगवान शिव को जरूर चढ़ाएं अगर आप स्वयं न कर पाएं तो किसी योग्य विद्वान पंडित से भी ये काम करवा सकते हैं।
ऊँ हौं ऊँ जूं स: भूर्भुव: स्व: त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवद्र्धनम्.
उर्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् भूर्भुव: स्वरों जूं स: हौं ऊँ
3. कुंडली में कालसर्प दोष होने पर राहु-केतु का जाप किसी योग्य पंडित से करवाएं, फिर गोमेद रत्न पहनें। इससे भी कालसर्प दोष का निवारण होता है।
4. किसी शिवलिंग पर पंच धातु का नाग बनवाकर चढ़ाएं। इसके बाद उस शिवलिंग और पंचधातु के नाग का पंचामृत से अभिषेक करें। इससे भी काल सर्प दोष के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं।
5. रोज सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद ओम नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नो सर्पः प्रचोदयात् मंत्र का जाप कम से कम 108 बार जाप करें। 
6. किसी योग्य पंडित से नदी के किनारे कालसर्प दोष मुक्ति के लिए पूजा करवाएं। नासिक और उज्जैन में इस तरह की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है।

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