सार

आज (21 जून, सोमवार) ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इसे निर्जला और भीमसेनी एकादशी कहते हैं। इस व्रत में पूरे दिन बिना खाए-पिए रहना होता है। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करने का विधान है।

उज्जैन. इस एकादशी का महत्व साल भर की अन्य 23 एकादशियों से बढ़कर माना गया है। यह बात स्वयं ऋषि वेदव्यास ने भीम को बताई थी, इसलिए इस एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से मनोकानाएं पूर्ण होती हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। आगे जानिए इन उपायों के बारे में…

1. निर्जला एकादशी पर स्वयं निर्जल व्रत रखकर जल का भरा हुआ घड़ा दान करने से सुख, यश और समृद्धि की प्राप्त होती है। इस दिन शीतलता प्रदान करने वाली चीजें जैसी शरबत आदि का भी दान करना चाहिए।
2. निर्जला एकदाशी पर जरुरतमंद व्यक्ति को जूतों का दान करना चाहिए। इसके अलावा ब्राह्मणों को अन्नदान, बिस्तर, वस्त्र और छाता आदि का दान करना बहुत ही शुभफलदायी रहता है।
3. निर्जला एकादशी पर तुलसी के पौधे के पास दीपक प्रज्वलित कर पूजन करना चाहिए। मान्यता है इससे आपके घर में धन, यश और वैभव बना रहता है। आपको भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
4. ग्रंथों में भगवान विष्णु को पीतांबरधारी भी कहते हैं यानी पीले वस्त्र पहनने वाले। इसलिए निर्जला एकादशी पर भगवान विष्णु के किसी मंदिर में पीले वस्त्र (धोती) अर्पित करें। इससे भगवान प्रसन्न होते हैं।
5. मोर पंख भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण के स्वरूप से जुड़ा हुआ है। इसलिए निर्जला एकादशी पर भगवान विष्णु के मंदिर में मोर पंख या मोर मुकुट चढ़ाना चाहिए। इससे आपकी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
6. निर्जला एकादशी पर भगवान विष्णु के मंदिर में बांसुरी चढ़ानी चाहिए। ये भी उनके श्रीकृष्ण अवतार के स्वरूप से जुड़ी हुई है। इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
7. शंख के भी कई प्रकार हैं, उन्हीं में से एक है दक्षिणावर्ती शंख। शंख को देवी लक्ष्मी का भाई भी कहा जाता है। निर्जला एकादशी पर भगवान विष्णु के मंदिर में ये शंख चढ़ाना चाहिए। इससे धन लाभ के योग बन सकते हैं।

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