सार
यूपी के कानपुर में भड़की हिंसा को लेकर आरोपितों पर प्रदेश सरकार के बुलडोज़र एक्शन पर रोक लगाने के लिए आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है, बता दें कि अब इस मामले में अगले सप्ताह सुनाई की तारीख दी गई है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में दंगे के आरोपियों की संपत्ति पर चल रहे बुलडोज़र पर फिलहाल रोक नहीं लगेगी। सुप्रीम कोर्ट ने जमीयत उलेमा ए हिन्द की याचिका पर नोटिस जारी किया है और कहा है कि अगले हफ्ते इस मामले पर फिर से सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से जमीयत-उलमा-ए-हिंद और अन्य की याचिकाओं पर 3 दिन में जवाब दाखिल करने के लिए कहा, जिसमें यूपी के अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की गई है कि राज्य में संपत्तियों पर उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना कोई कार्रवाई नहीं की जाए।
जानिए याचिका में क्या कहा कुछ कहा गया
बता दें कि याचिका में कहा गया था कि उत्तर प्रदेश में सरकार की ओर से की गई कार्रवाई कानून के खिलाफ है। ऐसे में जमीयत उलमा-ए-हिंद ने कोर्ट से मांग की है कि वह प्रदेश सरकार को आदेश दे कि इस तरह की कार्रवाई को फौरन रोका जाए। वहीं प्रदेश के आठ जिलों में हिंसा फैलाने वाले अबतक 357 आरोपित गिरफ्तार हो चुके हैं। प्रयागराज हिंसा के मुख्य आरोपी जावेद के घर को, कानपुर हिंसा के मुख्य आरोपी जफर हयात की संपत्ति पर और हाथरस में हिंसा फैलाने वाले दो आरोपितों के घर को प्रदेश सरकार की आदेश के बाद बुलडोजर से ध्वस्त किया जा चुका है।
सुप्रीम कोर्ट यूपी सरकार से क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से साफ कहा कि 'कोई भी तोड़फोड़ की कार्यवाही कानून की प्रक्रिया के अनुसार हो। राज्य को सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। साथ ही सुनिश्चित करें कि इस दौरान कुछ भी अनहोनी न हो। घरों को गिराने के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर चीज़ निष्पक्ष होनी चाहिए, हम उम्मीद करते हैं कि अधिकारी कानून के तहत प्रक्रिया का सख्ती से पालन करेंगे।' इसी को लेकर बता दें कि याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वकील ने आरोप लगाया कि बिना किसी नोटिस के एक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। याचिका में जमीयत ने कोर्ट से मांग की है कि वह यूपी सरकार को कार्रवाई रोकने का निर्देश दे।