सार
यूपी के बांदा में अतर्रा कान्हा पशु आश्रय केंद्र (गोशाला) में बीते 3 दिन में 22 गायों की मौत हो गई। बताया जा रहा है भूख और ठंड की वजह से इन गायों की मौत हुई। बुंदेलखंड किसान यूनियन के केंद्रीय अध्यक्ष विमल कुमार शर्मा ने जंगल में मृत पड़ी गायों की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल की, जिसके बाद प्रशासन की आंखे खुली और गोशाला के 2 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया।
बांदा (Uttar Pradesh). यूपी के बांदा में अतर्रा कान्हा पशु आश्रय केंद्र (गोशाला) में बीते 3 दिन में 22 गायों की मौत हो गई। बताया जा रहा है भूख और ठंड की वजह से इन गायों की मौत हुई। बुंदेलखंड किसान यूनियन के केंद्रीय अध्यक्ष विमल कुमार शर्मा ने जंगल में मृत पड़ी गायों की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल की, जिसके बाद प्रशासन की आंखे खुली और गोशाला के 2 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया। विमल शर्मा ने आरोप लगाया, गोशाला में न चारे और न ही ठंड से बचाव का कोई इंतजाम है। वहीं, एसडीएम सौरभ शुक्ला का कहना है कि 9 बूढ़ी गायों की मौत हुई है। ये गायें कहीं भी रहती तो भी मरती, लेकिन गौशाला में मरी हैं तो एक मुद्दा बन गया।
इसी गोशाला में एक महीने पहले हुई थी 13 गायों की मौत
विमल कुमार शर्मा ने बताया, अतर्रा नगर पालिका परिषद द्वारा संचालित कान्हा पशु आश्रय केंद्र में बुधवार-गुरुवार की रात भूख और ठंड की वजह से 15 और शुक्रवार को सात गायों की मौत हुई। जबकि सरकार गोवंश को लेकर काफी सख्त है। हाल ही में मुख्यमंत्री ने बांदा जिले का दौरा कर एक गोशाला का निरीक्षण किया था। लेकिन यहां जगह-जगह बदइंतजामी है। एक महीने पहले भी इसी गौशाला में 13 गायों की मौत होने की खबर आई थी।
जिम्मेदारों का क्या है कहना
गोशाला की गायों के इलाज की जिम्मेदारी पशु चिकित्सक डॉ. योगेंद्र कुमार पर है। उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि ज्यादातर गायों की मौत भूख और ठंड से हो रही है। उन्होंने कहा- चरही (भूसा डालने की जगह) की ऊंचाई ज्यादा होने पर बड़ी और स्वस्थ्य गायें तो चारा-पानी खा लेती हैं, लेकिन छोटे व कमजोर गौवंश भूखे रह जाते हैं। यहां कोई टिनशेड न होने से भी ज्यादातर गायें ठंड लगने से बीमार हो गई हैं। मृत किसी भी गाय का उनके द्वारा पोस्टमॉर्टम नहीं किया गया। नगर पालिका के कर्मचारी गायों को ऐसे ही फेंक देते हैं।
वहीं, गायों के शव ट्रैक्टर-ट्रॉली में लादकर फेंकने जा रहे गोशाला के प्रबंधक संतोष कुमार ने आरोप लगाया कि पशु चिकित्सक बीमार गायों के इलाज के लिए बुलाने पर भी नहीं आते, जिससे गायों की असमय मौतें हो रही हैं। उन्होंने भी स्वीकार किया कि मृत गायों के शव बिना पोस्टमॉर्टम कराए ही फेंके गए हैं। जबकि पशु चिकित्सक का कहना है कि वो हर दूसरे या तीसरे दिन गौशाला आकर बीमार गौवंशों का उपचार करते हैं।
गौशाला में तैनात एक अन्य कर्मचारी रज्जी ने बताया कि यहां करीब 400 गौवंश बंद हैं, लेकिन चारा और भूसा पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलता है, जिससे गौवंशों की मौतें हो रही हैं। ठंड से बचाव के भी कोई इंतजाम नहीं है।