सार
निर्भया के गुनहगारों को फांसी की तारीख तय होते ही पवन जल्लाद के मेरठ से बाहर जाने पर जेल प्रशासन ने रोक लगा दी है। पवन के अनुसार वह एक साथ चारों गुनहगारों को फांसी देने के लिए तैयार है। कहा कि ऐसे दरिंदों को फांसी देकर खुशी मिलेगी। साथ ही दिल को सुकून भी मिलेगा।
लखनऊ (उत्तर प्रदेश) । निर्भया गैंगरेप और मर्डर कांड के चारों दोषियों को 22 जनवरी को फांसी देने का आदेश न्यायालय ने सुनाया है। इन दरिंदों को फांसी पर लटकाने के लिए जेल प्रशासन ने मेरठ के पवन जल्लाद को रिजर्व किया है। साथ ही पवन के मेरठ से बाहर जाने पर रोक लगा दी है। पवन का कहना है कि निर्भया के गुनहगारों को फांसी देने के लिए पूरी तरह से मन बना चुका है। चारों आरोपियों को एक साथ फांसी दे सकता हूं। हालांकि जेल प्रशासन की तरफ से कोई पत्र नहीं दिया गया। सिर्फ तैयार रहने के लिए मौखिक तौर पर कहा गया है।
मेरठ शहर में साइकिल पर कपड़ा बेचता है पवन
पवन मेरठ जेल से जुड़ा अधिकृत जल्लाद है। हर महीने उसे तीन हजार रुपए मिलते हैं। उसका घर मेरठ शहर के बाहर बसे उपनगरीय इलाकों में है। वह पार्ट टाइम में मेरठ शहर में साइकिल पर कपड़ा बेचने का का काम करता है।
इनसे सीखी थी फांसी देने की टेक्निक
पवन ने अपने दादा और पिता से फांसी टेक्निक सीखी थी। वह कहते हैं कि कोशिश होती है जिसे फांसी दी जा रही हो, उसे कम से कम कष्ट हो। वैसे पवन फांसी देने की ट्रेनिंग के तौर पर एक बैग में रेत भरते और उसका वजन मानव के वजन के बराबर होता है। इसी को रस्सी के फंदे में कसकर वो ट्रेनिंग को अंजाम देते हैं। बार-बार प्रैक्टिस इसलिए होती है कि जिस दिन फांसी देनी हो, तब कोई चूक नहीं हो।
फांसी से पहले किया जाता है ट्रायल
पवन जल्लाद ने बताया कि फांसी से पहले ट्रायल होता है, ताकि फांसी देते समय कोई गलती न हो। फांसी के फंदे से कोई भी अपराधी बिना मरे वापस न आ सके। 80 से ज्यादा फांसी में हो चुके हैं शामिल
अपने दादा और पिता के साथ पवन ने मदद देने के दौरान करीब 80 फांसी देखीं है। पवन का परिवार सात लोगों का है। हालांकि ये तय है कि उनका बेटा जल्लाद नहीं बनने वाला, क्योंकि वो ये काम नहीं करना चाहता है। बेटा एक दो साल पहले तक सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा