सार
आज के समय मे समाज मे किन्नरों को काफी गलत निगाह से देखा जाता है।उन्हें समाज की मुख्य धारा से दूर रखा जाता है।समाज मे लोगों की दूषित मानसकिता से किन्नर समाज को उचित सम्मान नही मिलता।ये कहना है किन्नर अखाड़ा की प्रयागराज पीठाधीश्वर टीना मां का
प्रयागराज(UTTAR PRADESH). आज के समय मे समाज मे किन्नरों को काफी गलत निगाह से देखा जाता है।उन्हें समाज की मुख्य धारा से दूर रखा जाता है।समाज मे लोगों की दूषित मानसकिता से किन्नर समाज को उचित सम्मान नही मिलता।ये कहना है किन्नर अखाड़ा की प्रयागराज पीठाधीश्वर टीना मां का। ASIANET NEWS HINDI ने किन्नर अखाड़े की पीठाधीश्वर टीना मां से बात किया। बातचीत के दौरान उन्होंने किन्नर समाज व अपने बारे में तमाम बातें शेयर किया।
आर्मी में रहकर देश की सेवा करते हैं पिता व भाई
किन्नर अखाड़े की प्रयागराज पीठाधीश्वर टीना मां ने बताया कि "मेरे पिता आर्मी में हैं। मेरे दो भाई और एक बहन हैं। मेरे दोनो भाई भी आर्मी में हैं। बचपन से ही माता-पिता के संस्कारों का असर रहा कि मैं आज धर्म के रास्ते पर आगे चल रही हूँ।
बचपन से ही धर्म की ओर था झुकाव
टीना मां बताती हैं "हिन्दू सनातन धर्म मे पैदा होने के कारण धर्म की तरफ झुकाव था। पूजा पाठ और भजन कीर्तन में शुरू से रुचि थी।"
पांचवीं क्लास के बाद छूट गया घर
पीठाधीश्वर टीना मां बताती हैं,"बचपन से ही मैं पढ़ने मे काफी तेज थी,लेकिन मैं किन्नर थी ये बात मेरे माता पिता को पता थी। उन्होने क्लास 5 के बाद बचपन मे ही मुझे किन्नर समाज के गुरु अंजली राय ने मुझे गोद ले लिया।उन्होंने ही मुझे पढ़ाया-लिखाया। मैं ग्रेजुएट हूँ।"
किन्नर अखाड़ा ने साबित किया हम भी समाज के ही अंग
टीना मां का कहना है, "हमारे किन्नर अखाड़े ने ये साबित कर दिया कि हम भी इसी समाज जे अंग हैं। सनातन धर्म के हम भी एक अनुयायी और भागीदार हैं। आज किन्नर अखाड़े ने समाज मे किन्नरों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का काम कर उनका सम्मान वापस दिलाया है।"