सार

प्रवासी मजदूर रामादेवी नेशनल हाइवे पर जाते दिखे। जिसमें एक बच्चे को चारपाई पर लिटाकर उसे दो कंधों के सहारे लेकर जा रहे थे। वहां मौजूद पुलिसकर्मियों और अन्य लोगों ने उन्हें रोका। राजकुमार ने बताया अपनी मजबूरी बताई। थाना प्रभारी रामकुमार यह देखकर बहुत आहत हुए। उन्होंने सभी को खाना खिलाया और तत्काल एक वाहन की व्यवस्था की और सभी को वाहन से उनके गांव तक भेजना का प्रबंध किया। 

कानपुर (Uttar Pradesh)। लॉकडाउन में अब गरीबों की मुश्किलें और बढ़ गईं हैं। जिसके कारण वे जान जोखिम में डाल रहे हैं। एक परिवार 15 साल के बीमार बेटे को चारपाई पर लेटाकर दो कंधों के सहारे 800 किलोमीटर की दूरी तक करके कानपुर पहुंचा था। यह परिवार बेटे को लेकर लुधियाना से मध्यप्रदेश के सिंगरौली जा रहा है। इस परिवार में कुल 18 लोग हैं, जो बारी-बारी से चारपाई उठाकर चलते हैं। वे कहते हैं कि किसी ने भी हमारी मदद के लिए हाथ नहीं बढाया। 

यह है पूरा मामला
मध्य प्रदेश के सिंरौली गांव में रहने वाले राजकुमार लुधियाना में परिवार समेत रहते थे। पूरा परिवार मजदूरी करता था। लॉकडाउन के बाद से परिवार के सामने रोटी का संकट खड़ा हो गया। राजकुमार ने परिवार समेत मध्यप्रदेश अपने गांव लौटने का फैसला किया। लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी समस्या थी कि उनका 15 वर्षीय बेटा गर्दन में चोट के कारण चलने में असमर्थ था। उसे पैदल लेकर कैसे चला जाए, इतनी लंबी दूरी बिमार बेटे को लेकर किस तरह से पूरी की जाएगी।

इस तरह घर के लिए निकले सभी
सभी ने मिलकर फैसला किया कि बेटे को चारपाई पर लिटाकर गांव तक ले जाएंगें। उन्होंने चारपाई के चारों कोनों पर रस्सी बांधी और उसे एक बांस के जोड़ दिया। जिससे कि दो कंधों के सहारे चारपाई को उठाया जा सके। राजकुमार के इस साहस को देखर के उनके ही गांव के रहने वाले अन्य लोग भी वापस लौटने के लिए तैयार हो गए। राजकुमार के परिवार समेत कुल 18 लोग पैदल ही निकल पड़े।

पुलिसकर्मियों ने की मदद
प्रवासी मजदूर रामादेवी नेशनल हाइवे पर जाते दिखे। जिसमें एक बच्चे को चारपाई पर लिटाकर उसे दो कंधों के सहारे लेकर जा रहे थे। वहां मौजूद पुलिसकर्मियों और अन्य लोगों ने उन्हें रोका। राजकुमार ने बताया अपनी मजबूरी बताई। थाना प्रभारी रामकुमार यह देखकर बहुत आहत हुए। उन्होंने सभी को खाना खिलाया और तत्काल एक वाहन की व्यवस्था की और सभी को वाहन से उनके गांव तक भेजना का प्रबंध किया।