सार
यूपी के गोरखपुर में एक 12वीं पास युवक अस्पताल का संचालन कर मरीजों का इलाज कर रहा था। महिला मरीज की मौत के बाद जांच में यह मामला सामने आया है। पैनल में 9 डॉक्टरों के नाम अंकित हैं। लेकिन यह डॉक्टर कभी हॉस्पिटल आए ही नहीं थे।
गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। पेश से डॉक्टर बने एक युवक ने 12वीं तक की पढ़ाई की है। वह न केवल मरीजों का इलाज करता था। बल्कि उनका ऑपरेशन भी करता था। बता दें कि जिसके नाम से हॉस्पिटल का पंजीकरण कराया था। वह दिल्ली में MBBS की पढ़ाई कर रहा है। बीते शनिवार को पुलिस ने इस खौफनाक सच का खुलासा किया है। बताया गया है कि पैनल में जिन नौ डॉक्टरों के नाम हैं। वह कभी भी हॉस्पिटल आए ही नहीं हैं। वह सभी डॉक्टर दूसरे जिलों में प्रैक्टिस करते हैं। SSP डॉ. गौरव ग्रोवर ने बताया कि संचालक रंजीत निषाद सत्यम हॉस्पिटल को कई सालों से अवैध तरीके से चला रहा था।
बिना जांच के अधिकारियों ने किया पंजीकरण
प्राप्त जानकारी के अनुसार, बिना किसी वैध डिग्री के अस्पताल का संचालक रंजीत निषाद डॉक्टरों का नाम सूची में अंकित कर पैड पर मरीजों के लिए दवाईयां लिखता था। बीते 3 जनवरी को रंजीत की लापरवाही से गर्भवती की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। जिसके बाद मृतक महिला के परिवार वालों ने उसके खिलाफ पुलिस से शिकायत की थी। पुलिस ने मामले की जांच की तो यह जानकारी सामने आई। पुलिस ने गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज कर इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट के तहत रंजीत निषाद को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। बताया जा रहा है कि स्वास्थ्य विभाग के कुछ अधिकारियों और कर्मियों की भी इस मामले में भूमिका संदिग्ध पाई गई है। पुलिस जांच में सामने आया है कि अधिकारियों ने जांच किए बिना ही अस्पताल का पंजीकरण कर लिया था।
कार्रवाई के लिए सीएमओ को लिखा गया पत्र
अब ऐसे लोगों की लिस्ट तैयार की जा रही है। वहीं SSP ग्रोवर ने कानूनी और विभागीय कार्रवाई के लिए सीएमओ को पत्र भी लिखा है। SSP ने मामले पर जानकारी देते हुए बताया कि रंजीत निषाद नाम बदल-बदल कर अस्पताल चलाता था। सत्यम से पहले यह अस्पताल प्रियांशु हॉस्पिटल और चिराग हॉस्पिटल के नाम से चलाया जा रहा था। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने दोनों नामों पर अस्पताल को सील कर दिया था। जिसके बाद इस बार रंजीत सत्यम हॉस्पिटल के नाम से अस्पताल का संचालन कर रहा था। बता दें कि जिस डॉक्टर के नाम पर अस्पताल का पंजीकरण है। वह न तो मरीजों को देखता था और न ही अस्पताल में सेवा देता था। पूछताछ में सामने आया है कि आरोपी ने जिला अस्पताल के बिचौलियों की मदद से अस्पताल का पंजीकरण कराया था।