सार
ज्ञानवापी सर्वे के दौरान शिवलिंग मिलने के बाद सील किए गए स्थान को लेकर कोर्ट में एक आपत्ति डाली गई है। इस आपत्ति के जरिए कई अहम बिंदुओं पर ध्यान आकर्षित किया गया है।
वाराणसी: शासकीय अधिवक्ता महेंद्र प्रताप की तरफ से सील पर कोर्ट के आदेश पर कोर्ट में आपत्ति डाली गई। उनके द्वारा कई अहम बिंदुओं पर ध्यान आकर्षित किया गया है। कोर्ट में डाली गई आपत्ति पर बताया गया कि शिवलिंग मिलने के बाद तत्काल त्वरित कार्रवाई करते हुए ज्ञानवापी मस्जिद स्थित प्रश्नगत परिसर को तत्काल सील कर दिया गया। इस दौरान 9 जालीदार दरवाजों का ताजा बंद कर कोषागार में चाभी को जमा करवा दिया गया। हालांकि तीन अहम बिंदु इस बीच अत्यंत महत्वपूर्ण है जिनको लेकर न्यायालय स्पष्ट निर्देश जारी करे।
वजू के लिए बाहर शिफ्ट की जाए पाइप लाइन
बताया गया कि न्यायालय ने जिस परिसर को सील करने का आदेश पारित किया उसमें मानव निर्मित 3 फीट का गहरा तालाब है। इसके चारों तरफ पाइप लाइन व नल लगा हुआ है। इस परिसर के सील हो जाने के बाद वजू करने के लिए पाइप लाइन को सील क्षेत्र से बाहर शिफ्ट करना आवश्यक प्रतीत होता है।
शौचालय का इस्तेमाल करते हैं नमाजी जो हुए सील
सील किए गए परिसर में कुछ शौचालय भी मौजूद हैं। इनका इस्तेमाल नमाजी करते हैं। इसके बंद होने के बाद यहां कोई एंट्री नहीं है। लिहाजा इसको लेकर भी न्यायालय का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया गया है।
तालाब की मछलियों का हो स्थानांतरण
तीसरे अहम बिंदु में बताया गया कि मानव निर्मित तालाब में पानी भरा हुआ है। इसमें कुछ मछलियां भी हैं। परिसल को सील बंद करने के बाद यह मछलियां भी बंद हो गई हैं। लिहाजा उनके जीवन पर खतरा हो सकता है। इन्हें स्थानान्तरित करना अत्यंत आवश्यक प्रतीत होता है।
इन बिंदुओं का जिक्र करने के साथ ही अपील की गई है कि इन कारणों का अवलोकन करते हुए समुचित निर्देश दिए जाए। या फिर इस बिंदु पर भी कोर्ट कमिश्नर को नामित किया जाए। नामित कोर्ट कमिश्नर के माध्यम से रिपोर्ट प्राप्त कर उचित आदेश दिया जाए। जिससे की न्याय हो सके।
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