सार

कानपुर के स्वरूप नगर स्थित महिला संवासिनी गृह में एक के बाद एक 7 युवतियों के गर्भवती पाए जाने और 57 के कोरोना संक्रमित होने का मामला सामने आने के बाद यूपी के सियासी गलियारे में भी हलचल है। कानपुर शेल्टर होम मामले में परत दर परत लापरवाहियां उजागर होती दिख रही हैं।

कानपुर(Uttar Pradesh). यूपी के देवरिया शेल्टर होम कांड के बाद कानपुर के बालिका गृह पिछले 24 घंटे में हुआ घटनाक्रम सवालों के घेरे में है। स्वरूप नगर स्थित महिला संवासिनी गृह में एक के बाद एक 7 युवतियों के गर्भवती पाए जाने और 57 के कोरोना संक्रमित होने का मामला सामने आने के बाद यूपी के सियासी गलियारे में भी हलचल है। कानपुर शेल्टर होम मामले में परत दर परत लापरवाहियां उजागर होती दिख रही हैं। अब सामने आया है कि यहां क्षमता से अधिक संवासिनें रखी गई थीं। खुद कानपुर के प्रोबेशन अधिकारी ने माना कि यहां क्षमता से अधिक किशोरियां रह रही हैं।

बता दें कि बीती 17 तारीख को कानपुर के राजकीय महिला संवासिनी गृह में 33 किशोरियां कोरोना पॉजिटिव पाई गईं। जांच रिपोर्ट आती इसके पहले ही दो किशोरियों के गर्भवती होने की जानकारी भी सामने आ गई। रविवार की सुबह मामले के खुलासे के बाद जिले के अधिकारियों ने देर रात प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि 2 नहीं, बल्कि कुल 7 युवतियां गर्भवती हैं। सोमवार की सुबह कानपुर के एसएसपी ने मामले पर विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि संवासिन गृह की 57 किशोरियां कोरोना पॉजिटिव पाई गई हैं। इसके बाद शेल्टर होम के अन्य स्टाफ को क्वारंटाइन कर दिया गया है. वहीं उन्होंने यह भी पुष्टि की कि इनमें से 7 गर्भवती हैं, एक  HIV संक्रमित है।

डीएम कानपुर ने ट्वीट कर दी सफाई 
मामला सामने आने के बाद डीएम कानपुर व एसएसपी ने प्रेस कांफ्रेंस कर पूरे मामले से पर्दा उठाया था। उन्होंने ही बताया था कि कुल 57 किशोरियां कोरोना पॉजिटिव पाई गईं हैं। अब सोशल मीडिया में उड़ रही अफवाहों पर डीएम डॉ ब्रह्मदेव राम तिवारी ने ट्वीट कर फिर से सफाई दी है। उन्होंने ट्वीट कर कहा 'कानपुर के राजकीय बाल संरक्षण गृह (बालिका) के भीतर किसी भी किशोरी के गर्भवती होने की खबर पूर्णत: निराधार व सत्य से परे है। किसी भी जिम्मेदार व्यक्ति को ऐसे संवेदनशील मामले में पाक्सो एक्ट के प्रावधानों की जानकारी व तथ्यों के आधार पर ही कुछ कहना चाहिए'।

प्रोबेशन अधिकारी बोले नहीं थी जानकारी 
जिला प्रोबेशन अधिकारी अजीत ने मीडिया से बातचीत में बताया कि महिला शरणालय और बाल सुधार गृह में क्षमता से अधिक महिलाएं रह रही हैं। प्रोबेशन अधिकारी ने कहा कि उन्हें गर्भवती बालिका के एचआईवी संक्रमित होने की जानकारी नहीं थी, अगर होती तो उसकी रिपोर्ट शासन को जरूर भेजते। इस पूरे मामले में गौर करने वाली बात यह है कि शेल्टर होम को लेकर जिले के आला अफसरों ने चुप्पी साध रखी है। मामले में स्वास्थ्य महकमे की भी लापरवाही देखने को मिली है। कानपुर के CMO ने कहा कि यह उनका विभाग नहीं है। उन्हें सिर्फ अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों के बारे में ही जानकारी है।