सार
यूपी के कानपुर हिंसा मामले के मुख्य फाइनेंसर अहमद उर्फ मुख्तार बाबा को 176 दिन बाद गुरुवार देर शाम कानपुर जेल से रिहा कर दिया गया। बता दें कि हिंसा के मुख्य आरोपी के खिलाफ पुलिस कोई पुख्ता सबूत कोर्ट में नहीं पेश कर सकी।
कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर हिंसा मामले के मुख्य फाइनेंसर अहमद उर्फ मुख्तार बाबा को बीते गुरुवार को कानपुर जेल से रिहा कर दिया गया। बता दें 8 दिसंबर को ही हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी। लेकिन 2 जमानदार और अन्य लिखापढ़ी करने में 7 दिन का समय लग गया। सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद मुख्तार को जेल से रिहा कर दिया गया। बीते 3 जून को कानपुर में नई सड़क पर बड़े पैमाने पर हिंसा की गई थी। इस हिंसा के दौरान दर्जनों लोग घायल हो गए थे। जिसके बाद मामले की जांच में मुख्य फाइनेंसर के तौर पर मुख्तार बाबा का नाम सामने आया था। वहीं पुलिस ने 22 जून 2022 में मुख्तार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
पुलिस नहीं पेश कर सकी ठोस सबूत
मुख्तार बाबा के खिलाफ बेकनगंज थाने में गैंगस्टर एक्ट में एक और FIR दर्ज कराई गई थी। इसमें गैंग लीडर बिल्डर हाजी वसी को दर्शाया गया था। वहीं मुख्तार के वकील अफजल ने बताया कि हिंसा से जुड़ी तीन FIR में पहले ही उनकी बेल होकर रिहाई हो चुकी थी। साथ ही गैंगस्टर मामले में सुनवाई चलने के बाद उसमें भी बेल मिल गई थी। वकीलों ने जानकारी देते हुए बताया कि कोर्ट में पुलिस मुख्तार पर लगाए गए आरोपों को साबित नहीं कर सकी। जिसके बाद एडवोकेट मनीष टंडन और सत्यधीर सिंह जादौन ने अदालत में बहस की थी। वकीलों ने अदालत के सामने तर्क रखते हुए कहा कि मुख्तार के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में की गई कार्रवाई गलत है। वकीलों ने कहा कि गैंगचार्ट में एक ही आपराधिक मामला दिखाया गया है।
हिंसा में कई लोग हुए थे घायल
वकीलों ने कोर्ट से कहा कि जिन मामलों को दिखाया गया है। उसमें मुख्तार को पहले ही जमानत मिल चुकी है। इसके अलावा कोर्ट में वकीलों ने कहा कि जिसे इस गैंग का लीडर बनाया गया है। उसको भी बेल मिल चुकी है। वहीं पुलिस भी इस मामले पर कोई मजबूत साक्ष्य नहीं पेश कर सकी। जिसके बाद कोर्ट ने मुख्तार की जमानत को मंजूर कर दिया। बता दें कि कानपुर शहर में बाबा बिरयानी के नाम से मुख्तार अपना कारोबार चलाता है। शहर में उसके लगभग 6 रेस्टोरेंट संचालित थे। वहीं रेस्टोरेंट में छापेमारी कर खाद्य सुरक्षा विभाग सभी को सील कर चुका है। बता दें कि हिंसा की आड़ में मुख्तार ने नई सड़क स्थित हिंदुओं के चंद्रेश्वर हाता को खाली कराने की साजिश रची थी। हिंसा के शुरू होते ही पत्थरबाजी की गई थी। जिसमें कई लोग घायल हो गए थे।
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