सार

ट्रॉमा सेंटर में 170 मरीज भर्ती थे। सेकेंड फ्लोर पर 39 बेड का मेडिसिन वार्ड है। वहीं 26 बेड का आर्थोपेडिक वार्ड हैं मगर, लॉकडाउन के चलते मरीज कम थे। रात में धुआं भरने से मरीजों का दम घुटने लगा। अफरा-तफरी मच गई। तीन फ्लोर के मरीज खाली कराए गए। कुल 50 मरीजों को गांधी वार्ड, लिंब सेंटर व बाल रोग में शिफ्ट किया गया।

लखनऊ (Uttar Pradesh) । किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के ट्रॉमा सेंटर में बीती रात आग लग गई। वार्डों में धुआं भर गया। इसके बाद लिफ्ट में भी धमाका हुआ। मरीज-तीमारदारों का दम घुटने लगा। चारों ओर चीखपुकार मच गई। देखते ही देखते वार्डों में धुआं भर गया। मरीजों की जान पर आफत देख अफसरों को फोन किया गया। वहीं रेजीडेंट डॉक्टरों, कर्मचारी-तीमारदार ही मरीजों के लिए भगवान बनें। वे मरीजों को निकालना शुरू किया। हालांकि कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया गया। वहीं, आग लगने का कारण शार्ट सर्किट बताया जा रहा है। 

रेजीडेंट, कर्मचारी-तीमारदार ही बने भगवान 
11 बजे आग लगी, वहीं अफसर 11:35 पर ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। रेजीडेंट, कर्मचारी-तीमारदार ही मरीजों के लिए भगवान बने। इस दौरान स्ट्रेचर समय पर न मिलने से कई तीमारदार गोद में ही मरीज को लेकर भागे।

170 से अधिक मरीज थे भर्ती
ट्रॉमा सेंटर में 170 मरीज भर्ती थे। सेकेंड फ्लोर पर 39 बेड का मेडिसिन वार्ड है। वहीं 26 बेड का आर्थोपेडिक वार्ड हैं मगर, लॉकडाउन के चलते मरीज कम थे। रात में धुआं भरने से मरीजों का दम घुटने लगा। अफरा-तफरी मच गई। तीन फ्लोर के मरीज खाली कराए गए। कुल 50 मरीजों को गांधी वार्ड, लिंब सेंटर व बाल रोग में शिफ्ट किया गया। ऐसे में रेजीडेंट, तीमारदार, वार्ड ब्वॉय व अन्य कर्मचारी मरीज को रैंप से नीचे लाए। इस दौरान बच्चों व हड्डी के ऑपरेशन के मरीजों की जिंदगी दांव पर बन गई।

अफसर बोले, सब ठीक हो गया
प्रवक्ता डॉ. संदीप तिवारी के मुताबिक कुल 50 मरीज शिफ्ट किए गए। कोई हताहत नहीं हुआ है। आग के कारणों का पता नहीं चला है। इसकी जांच करवाई जाएगी।