सार

शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सहर्ष सहमति जताई है। शिया वक्फ बोर्ड साल 1946 में सुन्नी वक्फ बोर्ड के खिलाफ हारे गए मुकदमे में भी पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करेगा

लखनऊ(Uttar Pradesh).  शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सहर्ष सहमति जताई है। शिया वक्फ बोर्ड साल 1946 में सुन्नी वक्फ बोर्ड के खिलाफ हारे गए मुकदमे में भी पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करेगा। बोर्ड की एक अहम बैठक में इसका फैसला लिया गया है। बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने साफ़ किया कि राष्ट्रहित व देश में के माहौल को अच्छा बनाए रखने के लिए ये फैसला लिया गया है। 

पुनर्विचार याचिका दायर करने से खराब होगा देश का माहौल 
बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी के मुताबिक़ साल 1946 में शिया वक्फ बोर्ड और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच एक मुकदमा लोअर कोर्ट में चल रहा था। जिसमे कोर्ट ने ये कहा था कि बाबरी मस्जिद मीरबाकी ने बनवाई थी जो शिया कमांडर था। लेकिन मस्जिद में कुछ ऐसे साक्ष्य मिले हैं जिससे ये मस्जिद सुन्नी मुसलमानो की प्रतीत होती है।  जिसके बाद कोर्ट ने शिया वक्फ बोर्ड की अर्जी खारिज कर दी थी। उस मामले में शिया वक्फ बोर्ड उच्च न्यायलय में रिव्यू पिटीशन दाखिल नहीं करेगा। 

सुन्नी वक्फ बोर्ड नहीं लेगा जमीन तो हम करेंगे दावा 
शिया वक्फ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य अशफाक हुसैन जिया ने बताया कि बोर्ड की बैठक में निर्णय लिया गया है कि अगर सुन्नी वक्फ बोर्ड अयोध्या में जमीन लेने से इंकार करता है तो हम कोर्ट के समक्ष पेश होंगे और अपना दावा पेश करेंगे। उन्होंने बताया कि शिया वक्फ बोर्ड ने ये फैसला लिया है कि अगर उन्हें जमीन मिलती है तो वह श्री राम ट्रस्ट के नाम से एक बड़ा हॉस्पिटल खोलेंगे। इस हॉस्पिटल के परिसर में मंदिर,मस्जिद,गुरुद्वारा और चर्च सभी होंगे। जिससे वहां सर्वधर्म समभाव का संदेश जाए। 

कोर्ट ने भी माना है कि मीरबाकी शिया कमांडर था 
बोर्ड के सदस्य अशफाक हुसैन के मुताबिक कोर्ट ने भी ये बात स्वीकार किया है कि साक्ष्यों के मुताबिक इस मस्जिद को शिया कमांडर मीरबाकी ने बनवाया था। ऐसे में हमारा हक़ इस जमीन पर बनता है। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय सर्वमान्य व स्वागत योग्य है। इसलिए इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं कर सकते। लेकिन अगर सुन्नी वक्फ बोर्ड अयोध्या में कोर्ट के निर्णय के अनुसार 5 एकड़ जमीन लेने से इंकार करता है तो शिया वक्फ बोर्ड का दावा इस जमीन पर बनता है ,इसके बाद हम कोर्ट में जमीन को लेकर दावा करेंगे।