सार
यूपी विधानसभा चुनाव में आजमगढ़ की दीदारगंज विधानसभा सीट अपने आप में काफी खास है। इस बार वहां पर किसका झंडा लहराएगा यह देखना काफी दिलचस्प होगा। या फिर RUC सभी दलों का समीकरण बिगाड़ सकता है।
रवि प्रकाश सिंह
आजमगढ़: उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले की दीदारगंज विधानसभा सीट अपने आप में काफी खास है। देश आजाद होने के बाद से 2007 के विधानसभा चुनाव तक यह सीट हमेशा ही आरक्षित रही। लेकिन 2008 के परिसीमन में इस विधानसभा सीट का नाम बदलकर दीदारगंज किया गया। अब दीदारगंज की सीट सामान्य घोषित है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और बहुजन समाज पार्टी के कद्दावर नेता रहे सुखदेव राजभर इसी विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ा करते थे। अभी कुछ माह पहले जब उनकी मौत हुई तो समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कमलाकांत राजभर को अपना प्रत्याशी बना दिया। वहीं भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट पर कृष्ण मुरारी विश्वकर्मा को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। जबकि बहुजन समाज पार्टी ने भूपेंद्र सिंह मुन्ना और कांग्रेस पार्टी ने अवधेश सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित किया है।
कुल मतदाता दीदारगंज विधानसभा में
दीदारगंज विधानसभा में लगभग चार लाख के आसपास मतदाता हैं जिनमें मुस्लिम लगभग 90 से 95 हजार, अनुसूचित जातियां लगभग 85 से 90 हजार, यादव लगभग 45000 और राजभर लगभग 45000 से 50000 के बीच है, बाकी मतदाता फॉरवर्ड जाति से आते हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या को देखते हुए बटला हाउस कांड को लेकर लड़ाई लड़ने वाली राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल ने भी इस सीट पर अपना प्रत्याशी उतारा है। लिहाजा इस विधानसभा सीट की लड़ाई सबसे अलग देखने को मिल सकती है।
बस अड्डा बनने के बाद बसों का संचालन नहीं
यहां की समस्याओं की अगर बात करें तो दीदारगंज विधानसभा अभी भी काफी पिछड़ा हुआ है। इस विधानसभा क्षेत्र में ना तो सड़कें अच्छी हैं और ना ही आवागमन की सुचारू व्यवस्था है। इस विधानसभा में मार्टिनगंज तहसील की भी घोषणा की गई। जिसके निर्माण का कार्य अभी तक पूरा नहीं हो सका है। बस अड्डा तैयार होने के बाद आज भी यहां बसों का संचालन चालू नहीं हुआ है। जिसके कारण लोगों को आने जाने में काफी दिक्कतें होती हैं। यही स्थिति यहां की बिजली व्यवस्था की भी है। आज भी पुराने और जर्जर तार क्षेत्र में विद्युत व्यवस्था को तार-तार करते हुए दिख जाते हैं।
राष्ट्रीय उलेमा परिषद ने नाम से लड़ रहा चुनाव
कुल मिलाकर के यह कहा जा सकता है कि जहां एक तरफ राजनीतिक पार्टियों की सोच यह है उन्हें जातिगत आंकड़ों का लाभ मिलेगा वहीं एक बात यह भी सत्य है कि हो सकता है इस बार पांचवा दल जो राष्ट्रीय उलेमा परिषद के नाम से चुनाव लड़ रहा है। वह किसी भी प्रमुख दल की स्थिति और परिस्थिति बिगाड़ने में अपना अहम रोल निभाने का काम करेगा। 7 मार्च को आखिरी चरण में यहां मतदान होना है। देखना यह होगा कि ज्यादातर बसपा के खाते में जाने वाली इस विधानसभा सीट पर इस बार क्या कमल खिलता है या फिर आपसी लड़ाई की बाजी कोई और मार कर ले जाता है।
UP Election Info: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में 403 विधानसभा सीट के लिए पहले चरण का मतदान 10 फरवरी, दूसरा चरण 14 फरवरी, तीसरा चरण 20 फरवरी, चौथा चरण 23 फरवरी, पांचवां चरण 27 फरवरी, छठा चरण 3 मार्च और अंतिम चरण का मतदान 7 मार्च को है। कुल 7 चरणों में होगा यूपी में चुनाव। मतगणना 10 मार्च को होगी।
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