सार

आजमगढ़ की मेहनगर विधानसभा सीट में 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने यहां अपनी जीत दर्ज की और पार्टी की झोली में यह सीट गई। इस सीट पर आजादी के बाद से अब तक हुए चुनाव में तीन बार समाजवादी पार्टी चुनाव जीती हैं। 

रवि प्रकाश सिंह

आजमगढ़: उत्तर प्रदेश के जिले आजमगढ़ की मेहनगर विधानसभा (Mehnagar Assembly) की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रही है। मेहनगर विधानसभा सीट पर आजादी के बाद से अब तक हुए चुनाव में एक बार जेएनपी, तीन बार कांग्रेस (Congress) पार्टी, एक बार भारतीय जनता पार्टी (BJP), तीन बार समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party), एक बार सीपीएम, और दो बार बहुजन समाज पार्टी (BSP) चुनाव जीती हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने यहां अपनी जीत दर्ज की और पार्टी की झोली में यह सीट गई। साल 1993 में यहां पहली बार सबसे बड़ा उलटफेर हुआ जब समाजवादी पार्टी से दरोगा प्रसाद सरोज ने इस सीट से समाजवादी पार्टी का खाता खोला। इस बार भारतीय जनता पार्टी ने मंजू सरोज को यहां से अपना प्रत्याशी घोषित किया है। जबकि समाजवादी पार्टी ने अभी यहां अपना पत्ता नहीं खोला है। उसी तरह बहुजन समाज पार्टी ने भी इस सीट पर अभी तक अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है क्योंकि बहुजन समाज पार्टी से इस सीट पर विधायक रही विद्या चौधरी वर्तमान समय में समाजवादी पार्टी का दामन थाम चुकी है। ऐसे में बहुजन समाज पार्टी किसे अपना प्रत्याशी घोषित करेगी यह भी एक बड़ी बात होगी। 

मेहनगर विधानसभा के मतदाता
मेहनगर विधानसभा की अगर प्रमुख मुद्दों की बात करें तो सड़कों की दुर्दशा, बिजली की समस्या सहित नदियों के आवागमन के लिए पुल की कमी है। धार्मिक दृष्टिकोण से भी मेहनगर अपने आप में काफी अहमियत रखता है। 365 मंडलेश्वर धाम जो कि गौरा गांव में है। वहां पर साल में तीन बार सावन, कार्तिक और शिवरात्रि पर मेला लगता है। अब बात करते हैं, यहां के जातिगत समीकरण की तो मेहनगर विधानसभा में लगभग चार लाख के आसपास मतदाता हैं। जिनमें राजपूत वोटों की संख्या लगभग 25000, ब्राह्मण वोटों की संख्या लगभग 23000, वैश्य वोटों की संख्या लगभग 20000, यादवों की संख्या लगभग 75000, राजभर मतदाताओं की संख्या लगभग 40000, चौहान मतदाताओं की संख्या लगभग 35000, दलित मतदाताओं की संख्या लगभग 82000, पासी समाज की संख्या लगभग 48000, खटीक समाज की संख्या लगभग 4000, मौर्य मतदाता लगभग 4500, लोहार मतदाता लगभग 3200, प्रजापति वोटरों की संख्या लगभग 7000, कहार वोटर लगभग 6000, कुर्मी वोटर लगभग 10000, गोंड समाज के लगभग 3000, मुसलमान लगभग 22000, धोबी लगभग 6000, मुसहर लगभग 5300 और अन्य बिरादरी के लगभग 15000 मतदाता इस क्षेत्र में मौजूद है। ऐसे में सभी दल कोशिश करेंगे कि उनका प्रत्याशी ज्यादा से ज्यादा वोट पाकर इस विधानसभा क्षेत्र में उनका झंडा बुलंद कर सकें। 

बीजेपी ने पिछड़े वर्ग को किया लाभान्वित
समाजवादी पार्टी के साथ यह चुनौती होगी कि वह वर्तमान विधायक कल्पनाथ पासवान को दोबारा से मौका देते हैं या फिर बहुजन समाज पार्टी के विधायक रही विद्या चौधरी पर भरोसा जताती है। 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में काफी अंतर है क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी तो समाज के कई पिछड़े वर्ग के लोगों को अलग-अलग योजनाओं के माध्यम से लाभान्वित किया गया। जिसका सीधा प्रभाव इस चुनाव में देखने को मिल सकता है क्योंकि इसके पहले यह मतदाता सपा या बसपा को ही वोट करते थे। लेकिन अब योजनाओं का लाभ मिलने के बाद एक बात तो तय है कि कुछ प्रतिशत ही सही लेकिन भारतीय जनता पार्टी को भी इन लोगों का वोट मिलेगा। ऐसे में सपा और बसपा के कैंडिडेट को कितना फायदा और नुकसान पहुंचता है। यह विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद ही पता चल सकेगा लेकिन एक बात तो तय है कि इस बार समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के लिए भी इस सीट पर दोबारा समाजवाद का झंडा लहराना थोड़ा मुश्किल जरूर रहेगा।

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