सार
यूपी चुनाव परिणाम सामने आने के साथ ही सिराथू से केशव प्रसाद मौर्य की हार पर भी मुहर लग गई है। केशव की इस हार के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। इस हार के पीछे केशव का अतिउत्साह अहम कारण बताया जा रहा है।
कौशांबी: यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) सिराथू विधानसभा सीट से चुनाव हार गए हैं। सिराथू से उनके नामांकन के बाद से ही यह हॉट सीट बनी हुई थी। हालांकि मतगणना के बाद उनकी हार हुई और सपा गठबंधन की प्रत्याशी पल्लवी पटेल ने जीत दर्ज की। पल्लवी पटेल ने 7 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की है। केशव की इस हार को पार्टी बड़ी हार के दौर पर देख रही है। केशव प्रसाद मौर्य के कंधों पर 400 सीटों पर प्रचार का जिम्मा था, उन्होंने इसे बखूबी निभाया भी। हालांकि वह अपनी ही सीट पर जीत दर्ज न कर सके। जिम्मेदार इसके पीछे कई कारण बता रहे हैं। आइए जानते हैं इसके पीछे क्या प्रमुख कारण है।
अपनी सीट पर ध्यान नहीं दे पाए केशव
सिराथू से केशव की हार के पीछे का सबसे अहम कारण है कि केशव प्रसाद वहां पूरा ध्यान ही नहीं दे पाए। केशव के कंधों पर इतनी बड़ी जिम्मेदारी थी कि वह उसी में लगे रहें। यहां तक मतदान के दिन भी केशव अन्य प्रत्याशियों के लिए प्रचार में लगे हुए थे।
अखिलेश यादव को सीधी ललकार ने किया वोटर्स को खिलाफ
केशव की हार के पीछे का दूसरा अहम कारण है कि वह चुनाव प्रचार के दौरान सीधे तौर पर अखिलेश यादव को ललकार रहे थे। केशव ने जहां भी प्रचार किया वहां मंच से अखिलेश यादव को आड़े हाथों लिया। माना जा रहा है कि इसी के चलते सपा समर्थक सिराथू में एकजुट हुए और उन्होंने केशव के खिलाफ वोट किया।
जनता से दूरी बनी वजह
केशव की हार के पीछे का कारण जनता से दूरी भी है। जनता के मन में यह आ गया कि केशव को यदि वह चुनते भी है तो वह उनके बीच नहीं रहेंगे। जिसके चलते ही लोगों ने पल्लवी पटेल के पक्ष में मतदान किया।
अखिलेश ने झोंकी पूरी ताकत
अखिलेश यादव ने अपनी पूरी ताकत का प्रदर्शन सिराथू विधानसभा सीट पर किया। सिर्फ अखिलेश यादव ने ही नहीं बल्कि उनकी पत्नी डिंपल यादव ने भी सिराथू पहुंचकर पल्लवी पटेल के लिए प्रचार किया था। यही नहीं बीजेपी के कई नेता भी यहां प्रचार के लिए पहुंचे हुए थे।
अतिउत्साह बना हार का कारण
केशव की सिराथू से हार का एक कारण अतिउत्साह भी है। 2012 के चुनाव में केशव प्रसाद ने सिराथू में कमल खिलाने का काम किया था। जिसके बाद उन्हें उम्मीद थी कि जनता 2022 में भी उन्हें जीत अवश्य दिलाएगी। इसी के कारण वह अन्य सीटों पर ध्यान देते रहें। सिराथू में केशव की पत्नी और कार्यकर्ताओं ने प्रचार की कमान संभाली हुई थी। हालांकि मतगणना में साफ हुआ कि उनका यही अतिउत्साह उनकी हार का कारण बना।
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