सार
उत्तर प्रदेश चुनाव (UP Chunav Result 2022) से सात महीने पहले अगस्त 2021 में एशियानेट न्यूज जन की बात मतदाताओं के मूड के सर्वेक्षण ने योगी आदित्यनाथ की दूसरे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री के रूप में वापसी की भविष्यवाणी की थी।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Chunav Result 2022) में जीत दर्ज कर भाजपा ने रिकॉर्ड बनाया है। एशियानेट न्यूज ने 7 महीने पहले ही भाजपा के जीत और योगी आदित्यनाथ के फिर से सीएम चुने जाने की भविष्यवाणी कर दी थी। अगस्त 2021 में एशियानेट न्यूज जन की बात मतदाताओं के मूड के सर्वेक्षण ने योगी आदित्यनाथ की दूसरे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री के रूप में वापसी की भविष्यवाणी की थी।
एशियानेट देश का पहला मीडिया आउटलेट है जिसके जनमत सर्वेक्षण ने स्पष्ट रूप से लहर को पढ़ा और उत्तर प्रदेश में भाजपा के लिए एक आरामदायक जीत की भविष्यवाणी की। सर्वेक्षण के नतीजे आए थे कि 51 प्रतिशत मतदाता योगी को अगले मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते थे। हमारा व्यापक सर्वेक्षण यूपी के छह क्षेत्रों कानपुर बुंदेलखंड, अवध, पश्चिम, बृज, काशी और गोरक्ष में किया गया था। सर्वेक्षण में भविष्यवाणी की गई थी कि भाजपा को 42 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 222-260 सीटें मिलेंगी, जबकि सपा 135 सीटों पर जीत हासिल करेगी। गुरुवार को आए रिजल्ट में भाजपा को 250 सीटों पर जीत मिली और 5 सीटों पर पार्टी की बढ़त है।
बसपा को सिर्फ एक सीट मिली है। सर्वेक्षण में कहा गया था कि बसपा के सीटों की संख्या सिंगल डिजिट में होगी। इसी तरह, एशियानेट न्यूज ने कांग्रेस की दयनीय दुर्दशा की भविष्यवाणी की थी। बसपा के मामले की तरह, हमारे सर्वेक्षण में पाया गया कि कांग्रेस भी एक अंक वाली पार्टी होगी। कांग्रेस के सिर्फ दो प्रत्याशी चुनाव जीत पाए हैं।
योगी को दूसरा कार्यकाल देना चाहते थे लोग
हमारे सर्वे में पाया गया था कि 38 फीसदी मतदाताओं ने अखिलेश को तरजीह दी, मायावती को महज आठ फीसदी ने चाहा। प्रियंका गांधी का समर्थन आधार और भी कम था। केवल दो प्रतिशत मतदाताओं ने उनका समर्थन किया। एशियानेट न्यूज के सर्वेक्षण में सबसे पहले यह बताया गया था कि सभी रोड शो और पहले परिवार के भाई-बहनों द्वारा मोदी विरोधी बयानबाजी का मतदाताओं के दिमाग पर बहुत कम प्रभाव पड़ेगा। लखीमपुर खीरी में भाजपा की जीत इस वास्तविकता की गवाही देती है कि मतदाताओं की चिंता राजनीतिक प्रवचन को स्वीकार करने से कहीं अधिक बड़ी थी।
सर्वेक्षण में पाया गया कि 20,000 उत्तरदाताओं में से अधिकांश ने योगी आदित्यनाथ को दूसरा कार्यकाल देना पसंद किया। उनकी स्वीकृति की मुहर केवल दो उपलब्धियों पर आधारित थी। भ्रष्टाचार पर अंकुश और कानून के शासन को सुव्यवस्थित करना। बेशक, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण ने भी यूपी में योगी केमिस्ट्री को सुनिश्चित करने में एक बड़ी भूमिका निभाई है।
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हालांकि, उत्तरदाताओं का एक बड़ा बहुमत (मुख्य रूप से पश्चिम, अवध और कानपुर बुंदेलखंड में) पूरी तरह से सहमत था कि भ्रष्टाचार नियंत्रण में था, लेकिन बहुत कुछ करने की जरूरत थी। सामान्य तौर पर लोगों ने कहा कि 'योगी ईमानदार हैं, लेकिन अधिकारी भ्रष्ट हैं'। हमने पाया कि इन उपलब्धियों के साथ-साथ लोगों ने कोविड की स्थिति से निपटने के लिए योगी आदित्यनाथ के फैसलों को पसंद किया। हमारी टीम से बात करने वाले अधिकांश लोग कोरोना महामारी के चलते पैदा हुई स्थितियों को संभालने के लिए अपनाई गई रणनीतियों से संतुष्ट थे।
किसान आंदोलन का नहीं दिखा अधिक असर
कीमतों पर खराब नियंत्रण को लेकर लोग नाराज थे। परिणाम बताते हैं कि लोगों में यह अहसास है कि मुद्रास्फीति केवल यूपी-विशिष्ट घटना नहीं थी। हालांकि कृषि विधेयक और किसान आंदोलन पर काफी चर्चा हुई, लेकिन सर्वेक्षण में पाया गया कि इसका असर ज्यादातर पश्चिमी यूपी में ही हुआ। लगता है कि फार्म बिल को खत्म करने के साथ मानसिकता बदल गई है। दिलचस्प बात यह है कि हमें 50 प्रतिशत से अधिक लोगों ने बताया कि उन्होंने फार्म बिल को पढ़ा या समझा नहीं है। लगभग 60 प्रतिशत लोगों ने विधेयक पर प्रस्ताव देने के लिए कोई राय नहीं दी। एशियानेट न्यूज ने जोर देकर कहा था कि चुनाव के समय तक फार्म बिल एक मुद्दा नहीं रहेगा।
विपक्ष ने बिजली विधेयक का मुद्दा उठाया था, लेकिन लगभग 70 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे इससे प्रभावित नहीं हैं। हमने ब्राह्मणों के जातिगत झुकाव के महत्वपूर्ण मुद्दे का अध्ययन किया और पाया कि कानपुर बुंदेलखंड में 36 प्रतिशत ने कहा कि वे अनिर्णीत थे, लेकिन बाकी क्षेत्रों में स्पष्ट रूप से भाजपा का झुकाव दिखा। जाटव एससी और गैर-जाटव एससी के झुकाव पर लोग बंटे हुए दिखे, लेकिन भाजपा की ओर एक निश्चित झुकाव था।
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टिकट बांटने का तरीका भी भाजपा के पक्ष में गया। एशियानेट न्यूज ने भविष्यवाणी की थी कि गैर-यादव ओबीसी के उच्च मतदान को सुनिश्चित करने के लिए जाति संतुलन योगी आदित्यनाथ के लिए अनुकूल होगा। हमारे उत्तरदाताओं ने मौजूदा विधायकों के बदले नए चेहरों को मैदान में उतारने को अधिक पसंद किया था। हमने यह भी कहा था कि सात महीने पहले कि घरेलू मुद्रास्फीति एक प्रमुख मुद्दा होगा, लेकिन कानून और व्यवस्था के क्षेत्र में किए गए कदमों से चिंता दूर हो सकती है। यूपी चुनाव में बीजेपी को मिली सीटों की संख्या हमारे ब्रांड की विश्वसनीयता को प्रमाणित करती है।