सार

सीएम योगी गोरखपुर से तो समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव करहल से विजयी रहे। योगी सरकार के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या अपनी सीट बचाने में कामयाब नहीं हो सके। जबकि बीजेपी छोड़ समाजवादी पार्टी का दामन थामने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य को भी जनता ने नकार दिया।

इलेक्शन डेस्क। उत्तर प्रदेश में जनता ने एक बार फिर योगी सरकार को जनादेश दिया है। बीजेपी 255 सीट जीतकर यूपी में दोबारा सरकार बनाएगी, हालांकि पार्टी को 2017 के मुकाबले काफी नुकसान हुआ। वहीं, अगर हम सभी पार्टियों के प्रमुख लोगों की बात करें तो कई दिग्गज चुनाव हार चुके हैं तो कइयों ने रिकॉर्ड जीत दर्ज की है। सीएम योगी गोरखपुर से तो समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव करहल से विजयी रहे। योगी सरकार के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या अपनी सीट बचाने में कामयाब नहीं हो सके। जबकि बीजेपी छोड़ समाजवादी पार्टी का दामन थामने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य को भी जनता ने नकार दिया। संगीत सोम जैसे नेता हर बार जीतने के बावजूद इस बार हार गए, वहीं कैराना से सपा के नाहिद हसन ने बीजेपी की मृगांका सिंह को हराया। नीचे देखिए यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में 20 प्रमुख चेहरों का क्या हुआ...

1– गोरखपुर शहर : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यहां से 1 लाख 2 हजार वोटों से चुनाव जीत गए हैं। उन्होंने सपा की सुभावती शुक्ला को शिकस्त दी। इससे पहले 2017 के चुनाव में यहां से भाजपा के ही डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल जीते थे। इस बार के चुनाव में सपा ने योगी के सामने सुभावती शुक्ला को उम्मीदवार बनाया था। वे भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे स्वर्गीय उपेंद्र दत्त शुक्ल की पत्नी हैं। बसपा ने इस सीट से ख्वाजा शमसुद्दीन को मैदान में उतारा। 

2– करहल विधानसभा सीट : सपा प्रमुख अखिलेश यादव करहल से चुनाव जीत गए हैं। उन्होंने बीजेपी के एसपीएस बघेल को करीब 68 हजार वोटों से शिकस्त दी। भाजपा वर्ष 2002 में यह सीट जीती थी। वो भी सोवरन सिंह की वजह से। वह मौजूदा समय में सपा में हैं और वह लगातार चार बार से इस सीट से चुनाव जीत रहे हैं। अखिलेश यादव के लिए उन्होंने सीट खाली की थी। भाजपा की तरफ से केंद्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल मैदान में थे।

3– जसवंतनगर : अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव जसवंत नगर से चुनाव जीत गए हैं। शिवपाल यादव ने बीजेपी के विवेक शाक्य को करीब 91 हजार वोटों से हरा दिया। तीसरे नंबर पर बसपा के ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह रहे। बता दें कि इस सीट पर एक बार कांग्रेस जीती है। छह बार मुलायम सिंह यादव और 1996 से लेकर 2017 तक शिवपाल पांच बार चुनाव जीत चुके हैं। शिवपाल की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी ने इस बार चुनावों में सपा से गठबंधन किया था। इसलिए सपा ने यहां से उम्मीदवार नहीं उतारा था। 

4– महाराजपुर : योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री सतीश महाना महाराजपुर से चुनाव जीत गए हैं। उन्होंने सपा के फतेह बहादुर सिंह गिल को करीब 82 हजार वोटों से शिकस्त दी। तीसरे नंबर पर बसपा के सुरेंद्र पाल सिंह रहे। बता दें कि सतीश महाना सात बार के विधायक हैं और आठवीं बार मैदान में थे। महाना कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह, राम प्रकाश गुप्ता और मायावती सरकार में मंत्री रह चुके हैं। इसलिए इस सीट पर भी लोगों की नजरें लगी हुई थीं। महाना की सीट को हाईप्रोफाइल सीट माना जा रहा था।


5– कन्नौज : इस सीट से भाजपा ने पूर्व आईपीएस अफसर असीम अरुण को उतारा। असीम अरुण चुनाव जीत गए हैं। असीम अरुण ने सपा प्रत्याशी अनिल कुमार दोहरे को करीब 6 हजार वोटों से हरा दिया। अरुण कानपुर के पुलिस कमिशनर और यूपी एटीएस के प्रमुख भी रह चुके  हैं। कन्नौज सीट पर पिछले 20 साल से सपा का कब्जा रहा है। ऐसे में इस सीट पर भाजपा को काफी ताकत लगानी पड़ी। 

6– कुंडा :  प्रतापगढ़ जिले की कुंडा सीट से बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया (Raghuraj Pratap Singh as Raja Bhaiya) 30 हजार से अधिक मतों चुनाव जीत गए हैं। उन्होंने सपा के गुलशन यादव को मात दी। वर्ष 1993 से लगातार राजा भैया निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर कुंडा विधानसभा सीट से जीत दर्ज करते चले आ रहे हैं। राजा भैया को 99612 वोट मिले, जबकि गुलशन यादव को 69297 वोटों से ही संतोष करना पड़ा। 


7– फर्रुखाबाद सदर : सलमान खुर्शीद की पत्नी और कांग्रेस प्रत्याशी लुइस खुर्शीद सदर सीट से बुरी तरह चुनाव हार गई हैं। बीजेपी के सुनील दत्त द्विवेदी ने लुईस खुर्शीद को करीब 1 लाख 10 हजार से भी ज्यादा वोटों से शिकस्त दी। कांग्रेस पार्टी यहां चौथे नंबर पर रही। दूसरे नंबर पर सपा की सुमन शाक्य और तीसरे नंबर पर बसपा के विजय कुमार कटियार रहे।

8– लखनऊ कैंट : इस सीट से बीजेपी के ब्रजेश पाठक चुनाव जीत गए हैं। उन्होंने सपा के सुरेंद्र सिंह गांधी को करीब 40 हजार वोटों से हराया। यह सीट विधानसभा चुनाव से पहले से ही चर्चा में थी। इसी सीट के लिए मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव ने समाजवादी पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल होने का निर्णय लिया। हालांकि, 2017 में वे इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी से हार गई थीं। भाजपा में शामिल होने के बाद भी उन्हें इस सीट से टिकट नहीं मिला। बीजेपी ने यहां भाजपा सरकार में कानून मंत्री बृजेश पाठक को टिकट दिया था।

9–  मैनपुरी की भोगांव सीट : समाजवादी पार्टी के मजबूत गढ़ मैनपुरी जिले की भोगांव विधानसभा सीट पर भाजपा ने दोबारा परचम लहरा दिया है। भाजपा के राम नरेश अग्निहोत्री ने सपा के आलोक कुमार शाक्य को कड़े मुकाबले में 4767 वोटों से हराया। मैनपुरी जिला मुलायम सिंह यादव और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) का मजबूत किला माना जाता है, लेकिन भाजपा 2017 में इसे भेदने में कामयाब हो गई थी।
   

10– सीसामऊ, कानपुर : सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र से सपा के हाजी इरफान सोलंकी 79163 मतों के साथ विजयी हो गए है। भाजपा के सलिल विश्नोई 66897 मतों के साथ दूसरे नम्बर पर रहे। वहीं बसपा के रजनीश तिवारी को 2937 मत मिले। कांग्रेस के हाजी सुहैल अहमद को 5616 मत मिले हैं। 
  

11- सिराथू : उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य अपनी सीट बचाने में नाकामयाब रहे। सिराथू विधानसभा सीट पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या को समाजवादी पार्टी की डॉ. पल्लवी पटेल के हाथों हार का सामना करना पड़ा। आखिर तक चले कड़े मुकाबले में पटेल ने मौर्य को 7337 वोटों से हरा दिया। केशव प्रसाद मौर्या को 98941 वोट मिले, जबकि पल्लवी पटेल ने 106278 वोट पाकर जीत हासिल की। 

12- फाजिलनगर : कुशीनगर की इस सीट से स्वामी प्रसाद मौर्य चुनाव हार गए हैं। मौर्य को बीजेपी के सुरेंद्र कुमार कुश्वाहा ने करीब 26 हजार वोटों से शिकस्त दी। भाजपा से सपा में आए पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य पहली बार इस सीट से चुनाव लड़े। इससे पहले स्वामी प्रसाद तीन बार पडरौना से विधायक रह चुके हैं, लेकिन अखिलेश ने इस बार उनकी सीट बदल दी। इसलिए यहां मुकाबला काफी कड़ा था। मौर्य को यहां से 2012 से भाजपा विधायक रहे गंगा सिंह कुशवाहा के बेटे सुरेंद्र कुशवाहा से कड़ी टक्कर मिली। यह सीट इसलिए भी अहम थी क्योंकि यह स्वामी प्रसाद मौर्य का राजनीतिक भविष्य तय करने वाली थी।


13 - पडरौना : कुशीनगर जिले की पडरौना सीट से बीजेपी के मनीष कुमार जीत गए हैं। उन्होंने सपा की विक्रमा यादव को करीब 42 हजार वोटों से शिकस्त दी। तीसरे नंबर पर बसपा के पवन उपाध्याय रहे। इस सीट पर 2017 में भाजपा के स्वामी प्रसाद मौर्य जीते थे। सपा ने इस बार यहां से पूर्व ब्लॉक प्रमुख विक्रमा यादव को प्रत्याशी घोषित किया था। कांग्रेस ने यहां युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष मोहम्मद जहीरुद्दीन को मैदान में उतारा था। 

13– लखनऊ पूर्व : इस सीट से बीजेपी प्रत्याशी आशुतोष टंडन चुनाव जीत गए हैं। उन्होंने सपा के अनुराग सिंह भदौरिया को करीब 49 हजार वोटों से शिकस्त दी। तीसरे नंबर पर बसपा के आशीष कुमार सिन्हा रहे। इस सीट पर 1991 से लेकर 2017 तक भाजपा का कब्जा रहा है। यही वजह थी कि बीजेपी ने एक बार फिर यूपी के नगरीय विकास मंत्री रहे आशुतोष टंडन को चुनावी मैदान में उतारा। कांग्रेस ने यहां मनोज तिवारी को उतारा। इस सीट पर 35 हजार कायस्थ वोटर निर्णायक माने जाते हैं, ऐसे में भाजपा का पलड़ा पहले से ही मजबूत था।


14– तमकुहीराज, कुशीनगर : इस सीट से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू चुनाव हार गए हैं। उन्हें बीजेपी गठबंधन के असीम कुमार ने करीब 82 हजार वोटों से हरा दिया। दूसरे नंबर पर सपा के उदय नारायण रहे, जबकि लल्लू तीसरे नंबर पर रहे। तमकुही राज की सीट भाजपा गठबंधन ने निषाद पार्टी को दी है। इस सीट पर पिछली बार भाजपा चुनाव लड़ी थी, लेकिन लल्लू चुनाव जीत गए थे। वे पिछले दो बार से विधायक थे। हालांकि, इस बार वो अपनी सीट नहीं बचा पाए। 

15 आगरा ग्रामीण : इस सीट से बीजेपी उम्मीदवार बेबी रानी मौर्या चुनाव जीत गई हैं। उन्होंने बसपा की किरण प्रभा केसरी और रालोद के महेश कुमार को शिकस्त दी। भाजपा ने राज्यपाल रह चुकीं बेबी रानी मौर्या को यहां से अपना प्रत्याशी बनाया था। इस सीट पर कांग्रेस ने प्रदेश उपाध्यक्ष उपेंद्र सिंह पर एक बार फिर दांव खेला था। व्यवसायी उपेंद्र सिंह तीसरी बार इस सीट से किस्मत आजमा रहे हैं। सपा-रालोद गठबंधन ने इस सीट पर महेश कुमार जाटव को ट‍िकट द‍िया था। बेबी रानी मौर्य आगरा की मेयर रह चुकी हैं, इसलिए भाजपा ने उन्हें यहां से मैदान में उतारा था। 

16 शामली : उत्तर प्रदेश की शामली विधानसभा सीट से RLD के प्रसन्न चौधरी (Prasanna Chaudhary) ने बीजेपी उम्मीदवार तेजेंद्र सिंह निर्वाल (Tejendra Singh Nirwal) को बड़े गैप से हरा दिया है। चुनाव आयोग के मुताबिक, चौधरी को 103070 वोट, जबकि निर्वाल को 95, 963 वोट मिले। आरएलडी ने बीजेपी को कुल 7107 वोटो के मार्जिन से हराया है। भाजपा प्रत्याशी तेजेंद्र 2017 में इस सीट (Shamli Assembly Seat) से जीते थे।  


17 कैराना : यहां से सपा के नाहिद हसन ने भाजपा की मृगांका सिंह को 26 हजार वोटों से हरा दिया है। मृगांका स्वर्गीय सांसद बाबू हुकुम सिंह की बेटी हैं। वहीं इस सीट से बसपा पार्टी ने राजेंद्र सिंह उपाध्याय अपना प्रत्याशी बनाया था। आम आदमी पार्टी ने तरसपाल को उम्मीदवार बनाया था। कैराना सीट पर हिंदू-मुस्लिम मुद्दे काफी हावी रहे हैं। इसके अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन का भी असर देखने को मिला।


18 रामपुर: इस सीट पर सपा के आजम खान ने चुनाव जीत लिया है। उन्होंने बीजेपी के आकाश सक्सेना को करीब 65 हजार वोटों से शिकस्त दी। तीसरे नंबर पर कांग्रेस के नवाब काजिम अली रहे। बता दें कि रामपुर सीट पर लंबे समय से आजम खान का कब्जा रहा है। सपा नेता आजम खां यहां से पिछली बार भी विधायक चुने गए थे। इस बार वे जेल से चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा ने यहां से आकाश सक्सेना हनी को टिकट दिया था, जबकि कांग्रेस ने नवाब काजिम अली खान को उम्मीदवार बनाया था। 

19 इलाहाबाद पश्चिम: इलाहाबाद पश्चिम सीट से सिद्धार्थ नाथ सिंह ने चुनाव जीत लिया है। उन्हें इस सीट से सबसे ज्यादा 118759 वोट मिले हैं, जबकि समाजवादी पार्टी की ऋचा सिंह 88826 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रही। बहुजन समाज पार्टी के गुलाम कादिर 7626 और कांग्रेस के उम्मीदवार तसलीमुद्दीन को  2295 मिले हैं।
 

20 पट्‌टी/प्रतापगढ़: प्रतापगढ़ जिले की सात विधानसभा सीटों में से एक पट्टी से कैबिनेट मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह को अपने प्रतिद्वंद्वी सपा प्रत्याशी राम सिंह पटेल से 21217 मतों से हार मिली है। करीब 31 राउंड की मतगणना के बाद मोती सिंह को 86019 और सपा के रामसिंह को 108070 मत मिले। पट्टी विधानसभा सीट पर 16 राउंड की गिनती के बाद लगातार सपा से रामसिंह बड़ी बढ़त बनाते हुए दिखाई दिए।