सार

चित्रकूट की महिला उसकी नाबालिग बेटी से गैंगरेप के मामले में अखिलेश सरकार (Akhilesh Government) में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति (Gayatri Prasad Prajapati) और उसके दो अन्य सहयोगियों को एमपी-एमएलए कोर्ट (MP-MLA Court) ने दोषी करार दिया है। अब तीनों को 12 नवंबर को सजा सुनाई जाएगी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ये केस दर्ज हुआ था।

लखनऊ। समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की अखिलेश सरकार (Akhilesh Government) में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति (Gayatri Prasad Prajapati) गैंगरेप केस में दोषी पाए गए हैं। बुधवार को एमपी-एमएलए कोर्ट (MP-MLA Court) के स्पेशल जज पवन कुमार राय ने गायत्री समेत तीन आरोपियों को दोषी करार दिया। अब कोर्ट सजा पर 12 नवंबर को फैसला करेगी। वहीं, मामले में 4 अन्य अभियुक्तों को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया है। कोर्ट ने जिन्हें दोषी करार दिया है, उनमें गायत्री के अलावा आशीष शुक्ला और अशोक तिवारी शामिल हैं। कानूनी जानकारों की मानें तो गायत्री समेत तीनों अभियुक्तों को अधिकतम आजीवन कारावास की सजा या मृत्युदंड भी हो सकता है। आईपीसी की धारा 376-डी के तहत अधिकतम सजा के लिए आजीवन कारावास का प्रावधान है।

कोर्ट से बरी होने वाले अभियुक्तों में रूपेश्वर उर्फ रूपेश, चंद्रपाल, विकास वर्मा अमरेंद्र सिंह पिंटू हैं। इनकी ओर से अधिवक्ता प्रांशु अग्रवाल ने दलील दी थी कि अब तक किसी भी गवाह ने रूपेश्वर या चंद्रपाल के खिलाफ एक भी तथ्य नहीं बताए हैं। इसके अलावा, मामले में सुनवाई के दौरान पीड़िता महिला को बार-बार बयान बदलना भारी पड़ा है। कोर्ट ने लखनऊ के पुलिस आयुक्त को पीड़िता समेत राम सिंह राजपूत और अंशु गौड़ के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि इस बात की जांच की जाए कि इन तीनों ने किस प्रभाव में आकर गवाही के दौरान बार-बार अपने बयान बदले और कोर्ट की कार्रवाई प्रभावित की। अब पुलिस मामले में जांच कर कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। बता दें कि 18 फरवरी, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गायत्री प्रजापति और अन्य 6 आरोपियों के खिलाफ गैंगरेप, जान से मारने धमकी और पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश पीड़िता की याचिका पर दिया था। पीड़िता ने उसके और नाबालिग बेटी के साथ गैंगरेप का आरोप लगाया था। 

अखिलेश सरकार में सबसे तेज तरक्की करने वाले मंत्री रहे गायत्री
अखिलेश सरकार (Akhilesh Government) में सबसे चर्चित मंत्री गायत्री प्रजापति पर कोर्ट ने बलात्कारी होने की मुहर लगा दी। वह एक ही विभाग में सबसे तेज तरक्की करने वाले मंत्री रहे हैं। साल 2012 से 2017 तक यानी महज 5 साल में गायत्री ने जो मुकाम हासिल किया है, वह बड़े-बड़े नेताओं का सपना बना रहा। मगर, उनके बुरे दिन भी उतने ही तेजी के साथ आए। साल 2013 में गायत्री को सिंचाई विभाग का राज्यमंत्री बनाया गया। बाद में वे खनन राज्य मंत्री बने। फिर उन्हें खनन विभाग का स्वतंत्र प्रभार दे दिया गया। साल 2016 में वे कैबिनेट मंत्री बनाए गए। मगर, विभाग खनन ही रहा। लगातार तरक्की कर रहे गायत्री की रफ्तार पर पहला ब्रेक साल 2016 में तब लगा, जब खनन के एक मामले में कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दे दिए। तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कोर्ट की नाराजगी को देखते हुए उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया।

जब मुलायम के आगे बेबस दिखे अखिलेश, गायत्री को दोबारा बनाना पड़ा मंत्री
मगर, मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के आगे अखिलेश (Akhilesh Yadav) को अपना फैसला बदलना पड़ा और कुछ ही दिन बाद गायत्री को दोबारा मंत्री बनाना पड़ा। इस बार उन्हें परिवहन विभाग की जिम्मेदारी दी गई। इस बीच, गायत्री के खिलाफ शिकायतें आना भी तेज हो गईं। लोकायुक्त से लेकर कोर्ट तक शिकायतों की झड़ी लग गई। इनमें एक चित्रकूट की महिला ने गायत्री और उसके साथियों पर गैंगरेप करने के आरोप लगाए। महिला का कहना था कि आरोपियों ने उनके और उनकी बेटी के साथ गैंगरेप किया है। यही शिकायत गायत्री के गले की फांस बन गई। उनके मंत्री रहते हुए कोर्ट के निर्देश पर केस दर्ज किया गया। बाद में गायत्री को गिरफ्तार कर लिया गया।

महिला का खनन कार्यों में रहा खासा दखल, संपत्ति विवाद में बढ़ी दूरियां
गायत्री के मंत्री काल में इस महिला का खनन कार्यों में खासा दखल था। इस दौरान अकूत संपत्ति अर्जित की गई। यही विवाद की मुख्य वजह रही। साल 2014 में महिला ने जब लखनऊ में पूर्व मंत्री गायत्री के खिलाफ गैंगरेप का केस दर्ज कराया तो राजनीतिक गलियारे में हड़कंप मच गया। बताते हैं कि चित्रकूट की इस महिला की 2012 में गायत्री से नजदीकियां बढ़ी थीं। इस दौरान महिला और मंत्री के नाम करोड़ों रुपए की चल-अचल संपत्ति होने के आरोप लगे। इसी के बंटवारे को लेकर विवाद बढ़ता गया। गायत्री के साथ रहने वाले हमीरपुर जिले के राठ निवासी राम सिंह की भी महिला से दोस्ती हो गई। महिला ने राम सिंह पर भी उसके साथ रेप और संपत्ति हथियाने के लिए बेटी का अपहरण करने का आरोप लगाया था। बेटी आज तक नहीं लौटी है। इसे लेकर भी गायत्री और राम सिंह से महिला के संबंध बिगड़ने लगे थे। बाद में महिला ने दुष्कर्म, मारपीट और धमकाने की शिकायत की थी। अब कोर्ट ने गायत्री, अशीष शुक्ला, अशोक तिवारी को दोषी करार दिया है।

आय से अधिक संपत्ति केस में भी गर्दन फंसी
अवैध खनन की काली कमाई से बड़ा साम्राज्य खड़ा करने वाले गायत्री के खिलाफ सीबीआई और ईडी की जांच का घेरा भी लगातार कसता जा रहा है। यही वजह है कि उनके लिए आने वाले दिन और चुनौती भरे होंगे। गायत्री के विरुद्ध प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 8 अप्रैल, 2021 को बड़ी कार्रवाई की थी। ईडी ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में गायत्री और उसके परिवार के सदस्यों की 36.94 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त की थीं। साथ ही गायत्री के विरुद्ध मनी लॉण्ड्रिंग के केस में ईडी की विशेष अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया था। ईडी जल्द ही गायत्री के विरुद्ध दूसरा आरोप पत्र भी दाखिल कर सकता है। गायत्री और उसके परिवार की जो संपत्तियां अटैच की गई थीं, उनमें 57 बैंक खातों में जमा करीब 3.50 करोड़ रुपए और 60 चल-अचल संपत्तियों शामिल थीं। जब्त संपत्तियों का वर्तमान बाजार मूल्य 55 करोड़ रुपए आंका गया था। सीबीआई ने जनवरी 2019 में खनन घोटाले में केस दर्ज कर जांच शुरू की थी।

सीबीआई और ईडी से बढ़ेंगी मुश्किलें
वहीं, ईडी ने खनन घोटाले के मामले में अगस्त 2019 में सीबीआई की एफआईआर को आधार बनाकर गायत्री और पांच आईएएस अधिकारियों समेत अन्य के विरुद्ध प्रिवेंशन आऊफ मनी लॉण्ड्रिंग ऐक्ट के तहत चार केस दर्ज किए थे। ईडी हमीरपुर खनन घोटाले में पहले से ही गायत्री के खिलाफ जांच कर रहा था। ईडी ने जुलाई 2019 में गायत्री से लखनऊ के मेडिकल कॉलेज में भी लंबी पूछताछ की थी। तब वह ज्यूडिशियल कस्टडी में अस्पताल में भर्ती थे।

जानिए गैंगरेप केस में टाइमलाइन.... कब, क्या हुआ

  • पीड़िता के मुताबिक, 2013 में वह चित्रकूट के राम घाट पर गंगा आरती के एक कार्यक्रम में मौजूदा कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति से पहली बार मिली थी।
  • साल 2014 में पहली बार गायत्री ने उसके साथ रेप किया, उसके बाद 2016 तक लगातार रेप किया। गायत्री के साथियों ने भी पीड़िता का शारीरिक शोषण किया।
  • 17 अक्टूबर 2016 में पहली बार पीड़िता ने यूपी के डीजीपी को इस मामले में शिकायत की। लेकिन, कार्रवाई नहीं हो सकी।
  • 16 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस और सरकार को फटकार लगाई और पीड़िता की एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया।
  • 18 जुलाई 2017 को यूपी पुलिस ने गायत्री प्रजापति, विकास वर्मा, आशीष शुक्ला और अशोक तिवारी के खिलाफ विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया। बाद में अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू, चंद्रपाल और रूपेश्वर उर्फ रूपेश के नाम भी जोड़े गए।
  • 2 नवंबर 2021 को सभी आरोपियों के बयान दर्ज किए गए।
  • 8 नवंबर 2021 को कोर्ट ने मामले में सुनवाई पूरी की।
  • 10 नवंबर 2021 को गायत्री प्रजापति, अशोक तिवारी और आशीष शुक्ला को दोषी करार दिया। जबकि अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सिंह, विकास वर्मा चंद्रपाल और रूपेशवर उर्फ रूपेश को साक्ष्यों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया।
  • 12 नवंबर को कोर्ट गायत्री की सजा पर फैसला सुनाएगी।

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