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3 साल बाद पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को मिली जमानत, रेप के मामले में जेल में हैं बंद
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अखिलेश यादव सरकार में मंत्री रहे सामूहिक दुष्कर्म के आरोपी गायत्री प्रसाद प्रजापति ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में अपनी अंतरिम बेल की अर्जी डाली थी। कोर्ट ने सुनवाई के बाद दो महीने की अंतरिम जमानत की मंजूरी दी है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने न्यायमूर्ति वेद प्रकाश वैश्य ने मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को मेडिकल ग्राउंड पर आज से दो महीने से लिए अंतरिम जमानत दे दी है।
कोर्ट ने उनको दो-दो लाख रुपये के दो जमानती और 5 लाख के निजी मुचलके पर जमानत दी है। इसके साथ ही लखनऊ पीठ ने गायत्री को पीड़ित और उसके परिवार के सदस्यों पर दबाव बनाने या प्रभावित नहीं करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने प्रजापति को जमानत की दो माह की अवधि समाप्त होने के बाद ट्रायल कोर्ट या जेल अधीक्षक के सामने आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया।
गायत्री प्रसाद प्रजापति को दो माह की अंतरिम जमानत देते समय कोर्ट ने उस पर विभिन्न शर्तें लगाईं। इसने प्रजापति को अपने पासपोर्ट को आत्मसमर्पण करने और ट्रायल कोर्ट की पूर्व अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ने का निर्देश दिया। अदालत ने प्रजापति को अभियोजन पक्ष और उसके परिवार को धमकाने और अभियोजन पक्ष के गवाहों के साथ जबरदस्ती नहीं करने का भी निर्देश दिया। प्रजापति की जमानत याचिका पर बहस करते हुए उनके वकील रुक्मिणी बोबड़े और एसके सिंह ने दलील दी कि प्रजापति निर्दोष हैं और उन्हें मामले में झूठा फंसाया गया।
वकीलों ने कहा कि प्रजापति सीरियस बीमारियों से पीड़ित थे, जिनका कोई इलाज जेल अस्पताल या किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में नहीं था। वकीलों ने चिकित्सा उपचार का लाभ उठाने के लिए प्रजापति को छोटी अवधि के लिए रिहा करने की मांग की। याचिका का विरोध करते हुए, राज्य सरकार के वकील ने कहा कि प्रजापति को पर्याप्त चिकित्सा दी जा रही थी। इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए जस्टिस वेद प्रकाश वैश्य ने प्रजापति को दो महीने की अंतरिम जमानत दी।
अखिलेश यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रजापति के खिलाफ 2017 में सामूहिक दुष्कर्म का केस दर्ज हुआ था। केस में तीन जून, 2017 को गायत्री के अलावा छह अन्य पर चार्जशीट दाखिल की गई थी, जिसके बाद 18 जुलाई, 2017 को लखनऊ की पॉक्सो स्पेशल कोर्ट ने सातों आरोपियों पर पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया था।