सार

अधिकारियों की देखरेख में ही फर्जी तरह से पार्किंग का संचालन हो रहा था। दो साल से चल रही इस गड़बड़ी से वह अफसर भी अनभिज्ञ बने हुए थे। जिनके पास पार्किंग का प्रभार था लेकिन शायद वह वहां कभी निरीक्षण करने नहीं गए या फिर अन्य कारणों से गड़बडी पर परदा डाले हुए थे।
 

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अवैध पार्किंग को लेकर योगी सरकार के सख्त निर्देश के बाद अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई का दौर शुरू हो गया है। इसी सिलसिले में ट्रांसपोर्ट नगर निगम के जोनल अधिकारी को हटाकर हेड आफिस से अटैच कर दिया गया है। साथ ही दो निरीक्षक समेत छह को निलंबित कर दिया गया है। 

अधिकारियों की देखरेख हो रहा था पार्किंग का फर्जी संचालन
अधिकारियों की देखरेख में ही फर्जी तरह से पार्किंग का संचालन हो रहा था। दो साल से चल रही इस गड़बड़ी से वह अफसर भी अनभिज्ञ बने हुए थे। जिनके पास पार्किंग का प्रभार था लेकिन शायद वह वहां कभी निरीक्षण करने नहीं गए या फिर अन्य कारणों से गड़बडी पर परदा डाले हुए थे।

पार्किंग में कई करोड़ का घपला
पार्किंग में कई करोड़ का घपला सामने आने के बाद नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी ने दूसरे दिन भी बड़ी कार्रवाई जारी रखी। सोमवार को औचक निरीक्षण में नगर आयुक्त ने इस घपले को पकड़ा था, जहां फर्जी रसीद से वसूली हो रही थी। साल भर में नगर निगम को छह से सात करोड़ का चूना लगा गया था। जोनल अधिकारी से लेकर दो कर अधीक्षक संगीत कुमारी को कारण बताओं नोटिस जारी करने के साथ मुख्यालय से संबंद्ध किया गया है।

इनको किया निलंबित
दो कर अधीक्षकों में सुनील त्रिपाठी, केशव प्रसाद, राजस्व निरीक्षक (श्रेणी प्रथम) पीयूष तिवारी, धनीराम तिवारी के निलंबन का प्रस्ताव स्थानीय निकाय निदेशालय भेजा गया है। राजस्व निरीक्षक (श्रेणी द्वितीय) इसरार अहमद के साथ ही राजेश पटेल को निलंबित कर दिया गया है।

पार्किंग की देखरेख कर रहे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी विनय दुबे, अशोक कुमार, रावेंद्र कुमार व राजेश कुमार को भी निलंबित कर दिया गया है और बर्खास्तगी की कार्यवाही के लिए नोटिस जारी की गई है। इसी के साथ ही अपने दायित्वों का निर्वहन न करने व अनियमित्ता बरतने वाले विभागीय अफसरों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही के आदेश दिए गए हैं।

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