सार
सेना में शामिल होने से पहले ही शारंग का डिस्प्ले डिफेंस एक्सपो में आर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड के स्टॉल पर किया गया है, जहां शारंग को देखने वालों की खासी भीड़ जुट रही है। बताया जा है कि शारंग की बैरल क्षमता बढऩे का सीधा असर इसकी फायर पावर पर पड़ा है।
लखनऊ (Uttar Pradesh) । टेस्टिंग में सफल होने के बाद डिफेंस एक्सपो में अपग्रेड आर्टीलरी गन शारंग को देश के लिए समर्पित कर दिया। बता दें कि अब पहले से अधिक विस्फोटक के कारण शारंग का किलिंग एरिया भी बढ़ गया है। वर्षों पहले आयात की गई 130 एमएम गन की चेसिस को ही आर्डनेंस फैक्ट्री कानपुर ने इस्तेमाल किया है। इसकी मदद से यह 155 एमएम आर्टीलरी गन विकसित कर ली है। इस गन की टेस्टिंग जबलपुर आर्डनेंस फैक्ट्री ने हुई। इसकी मारक क्षमता 36 किमी तक बनाई जा रही है।
बढ़ गया किलिंग एरिया
सेना में शामिल होने से पहले ही शारंग का डिस्प्ले डिफेंस एक्सपो में आर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड के स्टॉल पर किया गया है, जहां शारंग को देखने वालों की खासी भीड़ जुट रही है। बताया जा है कि शारंग की बैरल क्षमता बढऩे का सीधा असर इसकी फायर पावर पर पड़ा है।
चार साल में बनाया जाएगा 300 शारंग आर्टीलरी गन
आर्डनेंस फैक्ट्री कानपुर और यहीं की फील्ड गन फैक्ट्री से बैरल व चेसिस को जबलपुर आर्डिनेंस फैक्ट्री भेजा गया था। जहां दोनों को इंटीग्रेट कर शारंग की टेस्टिंग की गई है। चार साल में 300 शारंग आर्टीलरी गन को बनाया जाएगा। भारतीय सेना की आर्टीलरी शक्ति को शारंग और मजबूत करेगी। आर्डनेंस फैक्ट्री कानपुर ने बोफोर्स तोप की भी बैरल तैयार कर उसे स्वीडन की कंपनी को सौंपा है। हालांकि अभी ऑर्डर की प्रक्रिया एडवांस स्टेज पर है।
इस तरह विकसित की गई ये गन
भारत ने 130 एमएम गन को रूस से आयात किया था। गन में 130 एमएम बैरल लगी थी। गन की मारक क्षमता 27 किलोमीटर थी। आर्डनेंस फैक्ट्री कानपुर ने शारंग की 130 एमएम बैरल को अपग्रेड कर दिया। उसकी चेसिस 130 एमएम की ही रखी गई, जबकि फैक्ट्री ने इसकी बैरल 155 एमएम की कर दी। अब इस आर्टीलरी गन की मारक क्षमता 36 किलोमीटर हो गई है।
ये है अब खासियत
130 एमएम बैरल को फैक्ट्री ने अपग्रेड किया
155 एमएम कर दिया फैक्ट्री ने इसकी बैरल
36 किलोमीटर हो गई गन की मारक क्षमता