आज ट्रैक्टर का इस्तेमाल खेती में काफी ज्यादा बढ़ गया है। इसके इस्तेमाल से किसानों का काफी समय भी बच जाता है। इसलिए आज ट्रैक्टर हर किसान की जरूरत बन गया है।
ट्रैक्टर में इतना पावर होता है कि उसके आगे अच्छी-अच्छी एसयूवी यहां तक की थार भी नहीं टिक सकती है। इसकी इंजन में बेहद पावरफुर CC इस्तेमाल होता है, जिसका मतलब क्यूबिक सेंटीमीटर है।
सीसी यानी क्यूबिक सेंटीमिटर इंजन के सिलेंडर की कुल क्षमता दिखाता है। ये बताता है कि ट्रैक्टर में मौजूद सभी सिलेंडरों में एक साथ कितनी हवा और ईंधन का मिश्रण भर सकता है।
इंजन की शक्ति और टॉर्क को सीसी से ही तय किया जाता है। सीसी ज तना ज्यादा होगा, इंजन उतना ही पावरफुल होगा। इंजन की फ्यूल एफिशिएंसी भी सीसी से ही प्रभावित होती है।
ट्रैक्टर अलग-अलग सीसी के आते है। इनमें 1,500 cm3 से लेकर 6,000 cm3 तक हो सकते हैं। जबकि अगर थार के इंजन की बात करें तो इसका सीसी 2,184 cm3 है।
ट्रैक्टर खरीदते समय अपनी जरूरतों के हिसाब से सीसी चुनना चाहिए। हल्के काम के लिए कम सीसी वाला ट्रैक्टर और भारी काम के लिए ज्यादा सीसी का ट्रैक्टर चुनना चाहिए।
RPM यानी रिवॉल्यूशन पर मिनट (Revolutions Per Minute) इंजन के क्रैंकशाफ्ट की तरफ से 1 मिनट में किए गए रोटेशंस की संख्या को बताता है। आरपीएम इंजन की गति तय करता है।
आरपीएम जितना ज्यादा होगा, इंजन उतनी ही तेज घूमेगा। इंजन की शक्ति और टॉर्क भी RPM से प्रभावित होते हैं। छोटे ट्रैक्टर में 500 से 1500 rpm, वहीं, बड़े ट्रैक्टर 3000 rpm तक होते हैं।