सुप्रीम कोर्ट में दाखिल दिल्ली सरकार ने तर्क दिया कि पिछली बार जब ऑड-ईवन लागू किया गया था तो कई लोगों ने अपनी पुरानी गाड़ियों में CNG लगवा ली। ऐसे में वाहन कम नहीं हुए।
कई रिपोर्ट्स के मुताबिक, CNG 100% सेफ विकल्प नहीं है। इससे भी प्रदूषण फैलता है। हालांकि, डीजल-पेट्रोल के वाहनों के मुकाबले कम प्रदूषण होता है। इससे ज्यादा जहरीली गैसें नहीं निकलती।
कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (CNG) में सबसे प्रमुख मेथेन गैस होती है। सीएनजी में बेंजीन-लेड जैसे केमिकल नहीं पाए जाते हैं। इसी कारण से इससे चलने वाले वाहनों से ज्यादा प्रदूषण नहीं फैलता।
मेथेन दूसरी गैसों की तुलना में सुरक्षित मानी जाती है। यह इकोफ्रेंडली होती है और इसका हेल्थ पर ज्यादा बुरा असर भी नहीं होता है। जबकि पेट्रोल-डीजल वाहनों से निकला धुआं खतरनाक होता है
रिपोर्ट के मुताबिक, डीजल वाहन पेट्रोल के मुकाबले ज्यादा CO2 जनरेट करता है। ये NOx, पीएम पार्टिकल भी बढ़ाते हैं। 1 डीजल वाहन 24 पेट्रोल वाहन, 40 CNG वाहन के बराबर प्रदूषण फैलाता है।
बीएस 4 और बीएस 3 वाहनों में कुछ अंतर दिखता है। बीएस4 वाहन पेट्रोल वैरिएंट में NOx 0.08 g/km होता है। डीजल में यह 212% अधिक 0.25 फीसदी तक है।
पेट्रोल के मुकाबले डीजल वाहन कार्बन मोनो ऑक्साइड कम जेनरेट करते हैं लेकिन पीएम और HC+NOx ज्यादा फैलाते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, सबसे ज्यादा प्रदूषण डीजल वाहन फैलाते हैं।
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का जो हाल है, उसे देखकर विशेषज्ञों का मानना है कि वहां डीजल और पेट्रोल के मुकाबले सीएनजी वाहन चलाने से ज्यादा राहत मिल सकती है।