कुछ गाड़ियों का रिकॉर्ड खराब होता है। जैसे- कुछ कारों पर केस चल रहा होता है और आप उन्हें खरीद लाते हैं। ऐसे में कानूनी पचड़े में पड़ सकते हैं। इसलिए कार की हिस्ट्री जरूर चेक करें।
अगर कार की हिस्ट्री चेक करने पर पता चलता है कि उस पर कोई केस चल रहा है तो उसे कतई न खरीदें, वरना भविष्य में वो कानूनी कार्रवाई आपके साथ भी हो सकती है।
सेकंड हैंड कार खरीदते समय उसकी कीमत पर भी ध्यान रहना चाहिए। किसी गाड़ी की कीमत उसकी कंडीशन, मॉडल, किमी काउंटर और दूसरे फैक्टर्स पर डिपेंड करती है।
किसी भी सेकेंड हैंड गाड़ी को खरीदते समय सबसे पहले उसकी हालत देख लें। क्योंकि अगर आपने इसे मिस किया तो जब गाड़ी आपकी हो जाएगी तब उसे ठीक कराने में काफी खर्च हो सकता है।
जब भी पुरानी यानी सेकेंड हैंड कार खरीदने जाएं तो उसके मॉडल को चेक करना न भूलें। ये चेक करें कि आपकी जो जरूरत है, उसे पूरा करने ये मॉडल आपके बजट में है भी या नहीं।
जब भी यूज्ड कार खरीदने जाएं तो उसके किमी काउंटर यानी वह कितने किलोमीटर तक चली है, जरूर चेक करें। क्योंकि ज्यादा चली कार आपके किसी काम की नहीं रह जाएगी।
यूज्ड कार लेते समय उसके के इंजन और टायर्स के साथ एसी, ब्रेक और बाकी जरूरी कंपोनेंट्स को बारिकी से चेक करें और तसल्ली होने के बाद ही पैसा लगाएं।
जब भी सेकेंड हैंड कार खरीदने जाएं तो अपने साथ किसी एक्सपीरियंड या एक्सपर्ट्स को लेकर जाएं। उन्हें ही टेस्ट ड्राइव करने दें। इससे कार की कमी का पता चल जाता है।