कई लोन की EMI डेट्स याद रखना मुश्किल हो सकता है। इसलिए ऑटो-डेबिट सेट कर लें। इससे न तो पेमेंट मिस होगा और न लेट फीस लगेगी। EMI की तारीख सैलरी डेट के 2-3 दिन बाद रखें।
एक एक्सेल शीट में अपने सभी लोन की डिटेल लिखें, बैंक का नाम, लोन अमाउंट, इंटरेस्ट रेट, बाकी बची EMI, कुल बकाया रकम आदि। इससे पता चलेगा कौन-सा लोन पहले खत्म करना है।
अब अपनी इनकम और खर्च के हिसाब से एक मंथली बजट बनाएं। देखें कि कहां खर्च कम किया जा सकता है ताकि अतिरिक्त रकम से आप लोन जल्दी चुका सकें। हर EMI और इनकम सोर्स रिकॉर्ड करें।
अगर आपके पास छोटे-छोटे कई लोन हैं, तो उन्हें एक सिंगल लोन में कॉन्सोलीडेट कर लें। इसे एक EMI, एक तारीख और कम झंझट वाला होगा। कई बैंक इसकी सुविधा देते हैं।
स्नोबाल मेथड में सबसे छोटे लोन को पहले खत्म करें। एडवांस्ड मेथड में सबसे हाई इंटरेस्ट वाले लोन को पहले खत्म करें ताकि ब्याज में बचत हो। दोनों में से कोई एक चुन सकते हैं।
अगर EMI चुकाने में दिक्कत आ रही है तो बैंक से टेन्योर बढ़ाने या इंटरेस्ट रेट घटाने की बात करें। कई बार बैंक रिस्ट्रक्चरिंग प्लान ऑफर करते हैं ताकि लोन का प्रेशर कम हो।
अगर आपका बैंक ब्याज दर कम नहीं कर रहा है, तो किसी दूसरे बैंक में बैलेंस ट्रांसफर करवा लें। इससे कम इंटरेस्ट रेट मिलेगा और EMI का बोझ घटेगा। बस फोरक्लोजर चार्ज का ध्यान रखें।
जब भी दिवाली बोनस, एनुअल इंसेंटिव और एक्स्ट्रा इनकम मिले, उसे खर्च करने की बजाय लोन प्रीपेमेंट में लगाएं। इससे ब्याज में काफी बचत होती है और आप जल्दी कर्ज मुक्त बन सकते हैं।
अगर आपके कार्ड पर बड़ी राशि बकाया है, तो उसे अगले बिल में ले जाने की बजाय EMI में बदलवाएं। क्योंकि कार्ड पर ब्याज दर 42% तक हो सकती है, जबकि EMI पर यह कम होता है।
अगर आप खुद हैंडल नहीं कर पा रहे हैं, तो किसी प्रोफेशनल डेट काउंसर से सलाह लें। वे आपकी इनकम, खर्च और EMI स्ट्रक्चर देखकर एक पर्सनलाइज्ड रिपेमेंट प्लान तैयार कर सकते हैं।