ज्यादातर लोग सोचते हैं इनकम बढ़ जाएगी तब बचत हो जाएगी। लेकिन सच यह है कि इनकम बढ़ने के साथ खर्च भी बढ़ जाता है। इसलिए बचत पैसों के होने से नहीं उसे इस्तेमाल करने पर निर्भर करती है।
जब एक ही अकाउंट से खर्च, UPI पेमेंट, EMI, बिल, शॉपिंग सब कुछ चलाते हैं तो पता ही नहीं चलता कि पैसा कब-कहां उड़ गया। इसलिए इनकम अकाउंट और एक्सपेंस अकाउंट अलग-अलग रखें।
खर्च समझने और कंट्रोल करने का सबसे आसान तरीका UPI पेमेंट के लिए एक अलग छोटा सेविंग अकाउंट इस्तेमाल करना है। जितना खर्च करना है उतना पैसा उसी अकाउंट में हर महीने डालें।
जैसे ही सैलरी आती है, सबसे पहले ₹10000 बचत के रूप में अलग कर दें। इसे खर्च नहीं करना है। बाकी पैसों से बजट मैनेज करें। एक बार बचत शुरू होने पर दिमाग खुद खर्चों को कंट्रोल करता है।
बाहर खाना, कॉफी या ऑनलाइन फूड ऑर्डर पूरी तरह बंद करने की जरूरत नहीं है। हफ्ते में 1-2 बार खुद को ट्रीट दें, रोजाना ऑर्डर करने की आदत बदलें। इससे आपका खर्च काफी कम हो जाएगा।
कई बार हम बोरियत या मूड खराब होने पर शॉपिंग कर लेते हैं। ऐसे खर्च से पहले खुद से पूछें, क्या इसे बाद में ले सकता हूं? अगर जवाब नहीं है, तो शॉपिंग रोक दें, इससे खर्चे कम हो जाते हैं
अगर कार्ड का यूज समझदारी से करें तो नुकसान नहीं, फायदेमंद हो सकता है। कार्ड के रिवॉर्ड, कैशबैक, पॉइंट्स बचत अकाउंट में ट्रांसफर करें। इससे एक एक्स्ट्रा छोटा फंड बनने लगता है।
रात सिर्फ एक मिनट निकालकर सोचें आज कहां-कहां खर्च किया। इसमें कुछ दिखावे के लिए तो नहीं था। दो हफ्तों तक ऐसा करने से समझ आ जाएगा कि पैसे का सबसे बड़ा लीक कहां था, उसे कैसे रोकना है
यह आर्टिकल सामान्य जानकारी के लिए है। यहां दिए गए सुझाव किसी प्रोफेशनल एडवाइज का विकल्प नहीं हैं। निवेश-बचत से जुड़े फैसले अपनी आर्थिक स्थिति और वित्तीय सलाहकार से सलाह के बाद लें।