गलत ITR फॉर्म सिलेक्ट करके आप मुसीबत में फंस सकते हैं। अपनी इनकम के हिसाब से आईटीआर फॉर्म भरना चाहिए। टैक्सपेयर्स के लिए आईटीआर के 7 अलग-अलग फॉर्म उपलब्ध होते हैं।
अपनी पर्सनल डिटेल्स की गलत जानकारी देना आप पर भारी पड़ सकता है। इसलिए आईटीआर फाइल करते समय सावधानीपूर्वक एड्रेस, पैन नंबर, आधार नंबर जैसी डिटेल्स भरनी चाहिए।
TDS और इनकम में अंतर का ध्यान रखना चाहिए। 26 AS में टीडीएस का मिसमैच होना इनकम टैक्स विभाग के नोटिस आने का कारण बन सकता है।
ITR लेट फाइलिंग या नॉन वैरिफिकेशन की गलती बहुत कॉमन है। 31 जुलाई रिटर्न भरने की लास्ट डेट है। अगर रिटर्न भरने के बाद ITR वैरिफाई नहीं कर रहे हैं तो इनवैलिड माना जाएगा।
ITR में कई बार टैक्सपेयर्स बैंक अकाउंट की गलत जानकारी भर देते हैं, जिससे उन्हें रिफंड नहीं मिल पाता है। ऐसे में बैंक नाम या अकाउंट नंबर गलत होने पर रिफंड में दिक्कत आ सकती है।
आईटीआर फॉर्म में देश और विदेश की संपत्ति का खुलासा करना बेहद जरूरी होता है। जिस विदेशी सोर्स से इनकम आ रही उसकी डिटेल्स न देने पर नोटिस का सामना करना पड़ सकता है।
ITR भरते समय कैरी फॉरवर्ड का ध्यान रखें। मान लीजिए लॉन्ग टर्म कैपिटल लॉस होता आ रहा है और उसे कैरी फॉरवर्ड नहीं कर रहे हैं तो बेनिफिट्स जीरो हो सकता है।
Asset Liability को आईटीआर में इग्नोर न करें। अगर आपकी इनकम 50 लाख से ज्यादा है तो आपके पास जो भी जमीन-मकान या संपत्ति है उसे शेड्यूल AL में दिखाएं, वरना रिटर्न कंप्लीट नहीं होगा।
इनकम टैक्स डिडक्शन क्लेम (Income Tax Deduction Claim) गलती भी लोग कर जाते हैं, जिसका सीधा असर टैक्स देनदारी पर पड़ता है।
शेयर बाजार के निवेशक अक्सर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स में अंतर नहीं कर पाते हैं। जिसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है, इसलिए सावधान रहें।