फर्जी तरीके से यूजरआईडी का इस्तेमाल कर सिम कार्ड खरीदने पर 3 साल की जेल और 50 लाख रुपए तक जुर्माना या दोनों हो सकता है। इसमें सिम कार्ड स्पूफिंग यानी रिसीवर से पहचान छुपाना भी है।
किसी यूजर के आधार कार्ड से 9 से ज्यादा सिम कार्ड जारी होने पर पहली बार 50 हजार का जुर्माना और दूसरी बार यही गलती करने पर 2 लाख रुपए तक का जुर्माना लग सकता है।
टेलीकॉम कंपनियों को यूजर की पहचान सिर्फ बायोमैट्रिक बेस्ड आईडेंटिफिकेशन से ही वैरिफाई करना होगा। इसका मकसद वोटर आईडी या ड्राइविंग लाइसेंस के गलत इस्तेमाल को रोकना है।
सिम लेने से पहले यूजर से ऐडवर्टाइजिंग मैसेज कंसेंट फॉर्म भरवाना होगा। DND सर्विस का ऑप्शन देना होगा। मैसेज या वायरस सपोर्ट ऑप्शन जरूरी, ग्रीवांस या शिकायत रजिस्टर ऑनलाइन करना होगा।
केंद्र सरकार किसी भी टेलीकॉम कंपनी को सिर्फ नीलामी के जरिए ही स्पेक्ट्रम अलॉकेट कर सकेगी।
इसके कुछ अपवाद हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा, डिफेंस रिसर्च वर्क,डिजास्टर मैनेजमेंट में BSNL जैसी पब्लिक ब्रॉडकास्टिंग सर्विस हैं, जिन्हें स्पेक्ट्रम अलोकेशन एडमिनिस्ट्रेटिव बेसिस पर होगा
TRAI चैयरमेन सिर्फ उन्हें ही बनाया जा सकता है, जिनके पास कम से कम 30 साल का प्रोफेशनल एक्सपीरियंस और मेंबर के तौर पर 25 साल का प्रोफेशनल एक्सपीरियंस होगा।
राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों को देखते हुए टेलीकॉम कंपनियों को अपने इक्विपमेंट्स सिर्फ सरकार के आइडेंटिफाइड ट्रस्टेड सोर्स से ही लेना पड़ेगा।
बिना अनुमति टेलीकॉम सर्विस देना या नेटवर्क या डेटा एक्सेस, कॉल टैपिंग अपराध होगा। 3 साल की जेल, 2 करोड़ तक जुर्माना और सिविल नियम न मानने पर 5 करोड़ का जुर्माना लगाया जा सकता है।
कस्टम-बिल्ट SIM बॉक्स, सेशन इनिशिएशन प्रोटोकॉल ट्रंक कॉल डिवाइस और प्राइमरी रेट इंटरफेस डिवाइस से इंटरनेशन कॉल गैरकानूनी होगी। इसके लिए 10 लाख रुपए तक जुर्माना लगाया जा सकता है।