टमाटर के दाम इन दिनों 80 रुपए प्रति किलो से ज्यादा हो गए हैं। इसका एक बड़ा कारण मंडी शुल्क होता है। किसान जब टमाटर मंडी लेकर पहुंचता है तो उसे मंडी शुल्क देना प़ता है।
मंडी में टमाटर जितनी ज्यादा दूर से आता है, उतनी ही ज्यादा मंडियों से होकर गुजरता है और उस जगह उसे हर जगह मंडी शुल्क देना होगा, जिससे महंगा हो जाता है।
टमाटर को किसी दूसरे शहर भेजने पर उस पर ट्रांसपोर्टेशन चार्ज लगता है। खेत से निकलने के बाद किचन तक पहुंचने के दौरान टमाटर पर एक नहीं कई तरह के ट्रांसपोर्टेशन चार्ज लगते हैं।
मंडी में टमाटर की फसल की बोली लगाने वाले एजेंट को किसान कमीशन देता है, जो एक तरह का चार्ज ही माना जाता है। इससे भी टमाटर की कीमत बढ़ती है। हर मंडी में कमीशन अलग होता है।
टमाटर खेत से तोड़ने से लेकर गाड़ी में रखने-उतारने के लिए मजदूरों की जरूरत होती है। उनका मेहनताना भी एक तरह का चार्ज ही माना जाता है, जो इसके रेट को बढ़ाने का काम करता है।
टमाटर खेत के टूटने के बाद जितनी बार और जितनी जगह लोडिंग-अनलोडिंग होता है, उतनी बार मजदूरों को मेहनताना देना पड़ता है, जिससे इसका रेट बढ़ जाता है।
इन सभी शुल्क के बाद होलसेलर टमाटर की कुल लागत में अपना प्रॉफिट जोड़ने के बाद ही उसे बड़ी मंडी लेकर बेचने जाता है, जिससे टमाटर और भी महंगा हो जाता है।
टमाटर पर बड़ी मंडी में फिर से मंडी शुल्क, एजेंट कमीशन, मजदूरी जैसे चार्ज लगते हैं और वहीं से रिटेलर खरीदकर अपना प्रॉफिट जोड़कर बेचता है, जिससे दाम काफी बढ़ जाते हैं।