यूपी के गोंडा में गुरुवार को एक ट्रेन हादसा हो गया। झिलाही स्टेशन के पास चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस की 12 बोगियां पटरी से उतर गईं। इनमें तीन एसी कोच बताए जा रहे हैं।
भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा बड़ा रेलवे नेटवर्क है। एक ट्रेन में कई तरह के कोच या बोगी लगते हैं। इसमें मुख्य तौर पर तीन जनरल कोच, स्लीपर कोच और एसी कोच होते हैं।
रेल के कोच को बनाने में स्टील और एल्युमीनियम दोनों का इस्तेमाल किया जाता है। कोच के बाहर का हिस्सा स्टेनलेस स्टील और अंदर का हिस्सा एल्युमीनियम से बनता है।
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एक ट्रेन की एक एसी कोच को बनाने का खर्च 2.8 से 3 करोड़ रुपए तक होती है। इस हिसाब से तीन एसी कोच पलटने का खर्च करीब 9 करोड़ का नुकसान।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रेन का स्लीपर कोच बनाने में करीब 1.25 करोड़ रुपए का खर्च आता है। वहीं, एक जनरल बोगी यानी कोच को बनाने में करीब एक करोड़ रुपए खर्च होते हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रेन का एक इंजन 18-20 करोड़ रुपए में बनता है। वहीं, 24 कोच वाली ट्रेन का औसतन खर्च करीब 60 से 70 करोड़ रुपए होता है।
लोकल, राजधानी और वंदे भारत जैसी ट्रेनों को बनाने का खर्च अलग-अलग होता है। वंदे भारत जैसी प्रीमियम ट्रेन करीब 110 से 120 करोड़ रुपए में बनती है।
इस हिसाब से जब कोई ट्रेन किसी हादसे का शिकार होती है या पलट जाती है तो उसमें कितने डिब्बे या इंजन पलटता है, उसकी लागत से उससे नुकसान का कैलकुलेशन निकाला जा सकता है।