11 फरवरी को शेयर बाजार में भूचाल आ गया। सेंसेक्स-निफ्टी दोनों में भारी गिरावट के चलते निवेशकों के 9 लाख करोड़ रुपए बाजार की भेंट चढ़ गए।
पिछले कुछ समय से सरकार ने टैक्स में राहत, ब्याज दरों में कटौती जैसी कई राहतें दीं, लेकिन इसके बावजूद बाजार की गिरावट थमती नहीं दिख रही। आखिर क्या है वजह?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी को लेकर बनी अनिश्चितता की वजह से ग्लोबल मार्केट के साथ ही भारतीय शेयर बाजार में भी गिरावट देखी जा रही है।
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया लगातार कमजोर हो रहा है। डॉलर की तुलना में रुपया 88 रुपए तक टूट चुका है। इससे विदेशी संस्थागत निवेशकों का मनोबल बेहद कमजोर हुआ है।
रुपए की कमजोरी का असर विदेशी संस्थागत निवेशकों पर पड़ता है। यही वजह है कि फरवरी में अब तक FII ने भारतीय बाजारों से 12643 करोड़ की बिकवाली की है। इससे बाजार पर प्रेशर है।
अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के दौरान कई भारतीय कंपनियों के नतीजे बेहद निराशाजनक रहे। इससे निवेशकों का मनोबल कमजोर हुआ है।
मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स के कई शेयर ओवरवैल्यूड हैं, जिससे बाजार में चिंता बनी हुई है। कुछ एक्सपर्ट्स ने इन शेयरों से निवेशकों को सतर्क रहने तक के लिए कहा है।
शेयर मार्केट में अस्थिरता के चलते निवेशक सोने में निवेश बढ़ा रहे हैं। खासकर गोल्ड ईटीएफ की ओर लोगों का रुझान बढ़ा है। इसके चलते बाजार पर दबाव है।