भारत की आजादी में कई ऐसे वीर सेनानियों का योगदान रहा, जिनका जिक्र हमारे स्कूल की किताबों में कुछ खास नहीं मिलता। जानिए ऐसे ही 7 स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में।
झलकारी बाई, झांसी की रानी की महिला सेना की कमांडर थीं। अद्भुत वीरता से लड़ते हुए अंग्रेजों से लोहा लिया था। ब्रिटिश सेना को धोखा देकर रानी लक्ष्मीबाई को बचाया था।
17 साल की उम्र में अंग्रेज अफसर पर बम फेंकने वाले इस सबसे युवा क्रांतिकारी ने अपने अदम्य साहस और शौर्य से भारतीय स्वाधीनता संग्राम को नई ऊर्जा प्रदान की। इन्हें फांसी दे दी गई थी।
जलियांवाला बाग कांड का बदला लेने लंदन जाकर लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओड्वायर को गोली मार दी थी। उन्हें हिरासत में ले लिया गया था और फिर फांसी दे दी गई। वे देशभक्ति की मिसाल बने।
बंगाल के तामलुक की एक समर्पित गांधीवादी महिला क्रांतिकारी, 73 की उम्र में ब्रिटिश गोलियों की शिकार बनीं थीं। जब वह भारत छोड़ो आंदोलन मार्च का नेतृत्व तिरंगा लेकर कर रही थीं।
कलकत्ता यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में डिग्री लेने पहुंचीं वीणा दास ने ब्रिटिश गवर्नर सर स्टैनले जैकसन पर गोली चला दी लेकिन वह बच गया। उन्होंने 9 साल जेल काटी।
यह महिला भारतीय स्वतंत्रता सेनानी अपने पति के साथ भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हुईं। पति गोली से घायल हुए, फिर भी तिरंगा थामे रहीं और आंदोलन को जारी रखा।
स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक राजा महेन्द्र प्रताप सिंह ने 915 में भारत की पहली आजाद सरकार अफगानिस्तान में गठित की थी । जर्मनी, तुर्की, रूस में भारत की आजादी के लिए समर्थन जुटाया।
भारत की आजादी सिर्फ कुछ चर्चित नामों से नहीं, बल्कि इन जैसे हजारों गुमनाम क्रांतिकारियों के त्याग से भी मिली है। जिनके बारे में जानना और सम्मान देना जरूरी है।