भारत की आजादी की लड़ाई में बिहार के भी कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अहम भूमिका निभाई थी। जानिए बिहार के ऐसे ही कुछ Freedom Fghters के बारे में, जिनका योगदान अमूल्य है।
1857 की पहली स्वतंत्रता क्रांति के महानायक, बाबू कुंवर सिंह ने 80 वर्ष की उम्र में भी अंग्रेजों से युद्ध किया और छकाया। बिहार और उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में क्रांति की अगुवाई की।
राजेंद्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति और स्वतंत्रता संग्राम के शांतिपूर्ण नेता थे। गांधीजी के साथ उन्होंने असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह, भारत छोड़ो आंदोलन में अहम भूमिका निभाई।
इनकी प्रमुख भूमिका आजादी के बाद ज्यादा रही, लेकिन 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में उनकी भागीदारी को नहीं भुलाया जा सकता। उन्होंने युवाओं को आजादी की राह दिखाई थी।
बिहार के पहले मुख्यमंत्री और स्वतंत्रता सेनानी श्रीकृष्ण सिंह ने असहयोग आंदोलन में भाग लिया और जेल भी गए। आजादी के बाद उन्होंने बिहार के विकास में भी बड़ा योगदान दिया।
अनुग्रह नारायण सिंह ने स्वतंत्रता संग्राम में गांधीजी के अनुयायी के रूप में भाग लिया और कई आंदोलनों में सक्रिय रहे। आजादी के बाद बिहार के उप मुख्यमंत्री बने।
हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) के सदस्य अशफाकुल्ला खान भले ही यूपी से थे, लेकिन बिहार में भी उनकी गतिविधियां सक्रिय रहीं। काकोरी कांड के बाद उन्हें फांसी दी गई।
बंगाल के इस युवा क्रांतिकारी को बिहार के मुजफ्फरपुर में ब्रिटिश अधिकारी किंग्सफोर्ड पर बम फेंकने के आरोप में फांसी दी गई। उनका बलिदान पूरे बिहार और देश में क्रांति की चिंगारी बना।
बिहार के इन महान सपूतों ने अपने साहस, बलिदान और नेतृत्व से आजादी की लड़ाई को मजबूती दी। इनका संघर्ष और योगदान सभी के लिए प्रेरणा है।