भारत हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाता है। यह वही दिन है जब भारतीय जवानों ने 1999 में दुश्मन को पीछे धकेलते हुए कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर दोबारा तिरंगा फहराया था।
भारतीय सेना ने इस मिशन को "ऑपरेशन विजय" नाम दिया था। इसका मकसद था- कारगिल की पहाड़ियों पर कब्जा जमाए पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ना।
इस युद्ध की शुरुआत 3 मई 1999 को हुई, जब करीब 5000 पाकिस्तानी घुसपैठिए चुपचाप भारतीय सीमा में दाखिल हो गए और ऊंचाई वाले इलाकों पर कब्जा कर लिया।
1998-99 की ठंड के दौरान ही पाकिस्तान ने यह साजिश रची थी। मकसद था- सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जा और भारत को कश्मीर मुद्दे पर बातचीत के लिए मजबूर करना।
भारतीय सेना, एयरफोर्स और इंटेलिजेंस की मदद से घुसपैठ की जानकारी मिली। इसके बाद टोलोलिंग, टाइगर हिल और बतालिक सेक्टर में जबरदस्त जंग छिड़ गई।
कारगिल युद्ध 3 हिस्सों में लड़ा गया। दुश्मन की लोकेशन पता की गई, फिर ऊंचे इलाकों को दुबारा हासिल किया गया, हाईवे NH1-A को सेना के लिए खोला गया। और घुसपैठ रोकने के इंतजाम किए गए।
भारतीय वायुसेना ने MiG-21, MiG-23, MiG-27, Jaguar और Mirage-2000 जैसे फाइटर प्लेन्स से दुश्मन के ठिकानों पर जबरदस्त हमला किया।
टाइगर हिल को वापस लेने के लिए भारी संख्या में बम और रॉकेट का इस्तेमाल हुआ। कहा जाता है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह सबसे बड़ा बमबारी अभियान था।
इजराइल ने भारत को लेजर-गाइडेड मिसाइल, ड्रोन और गोला-बारूद सप्लाई किया था। ये जानकारी निकलस ब्लेरेल की किताब The Evolution of India’s Israel Policy से मिलती है।
कारगिल के शहीदों की याद में कारगिल के द्रास सेक्टर में बना कारगिल वॉर मेमोरियल आज भी देशभक्ति, बलिदान और वीरता की याद दिलाता है।