पुराने संसद भवन का उद्घाटन 18 जनवरी, 1927 को हुआ था। तब भारत पर ब्रिटिश हुकूमत का कब्जा था। इस भवन का उद्घाटन तात्कालिन वायसराय लॉर्ड इरविन ने किया था।
तब उसे 'हाउस ऑफ पार्लियामेंट' कहा गया। इसमें ब्रिटिश सरकार की विधान परिषद काम करती थी। ब्रिटिश वास्तुकार एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने इसकी डिजाइन तैयार की थी।
संसद भवन तैयार होने में 83 लाख रुपये खर्च हुए। संसद भवन 566 मीटर व्यास में बना था, लेकिन बाद में और जगह की जरूरत पड़ी तो वर्ष 1956 में संसद भवन में दो और मंजिलें जोड़ी गईं।
वर्ष 2006 में संसद संग्रहालय बनाया गया जिसमें भारत की समृद्ध लोकतांत्रिक विरासत के 2,500 वर्षों को प्रदर्शित किया गया है।
माना जाता है कि मध्य प्रदेश के मुरैना स्थित चौसठ योगिनी मंदिर के अद्वितीय गोलाकार आकार से पुराने संसद भवन का डिजाइन प्रेरित था, हालांकि इसके कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं हैं।
ऐतिहासिक स्थल ने औपनिवेशिक शासन, द्वितीय विश्व युद्ध, स्वतंत्रता की शुरुआत, संविधान को अपनाना और कई कानूनों को पारित होते देखा है - कुछ ऐतिहासिक और कई विवादास्पद।
पुराने संसद भवन में 9 दिसंबर, 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक हुई थी। 14-15 अगस्त, 1947 को संविधान सभा के अर्द्धरात्रि सत्र के दौरान सत्ता हस्तांतरण हुआ था।
लोकसभा के 543 और राज्यसभा के 250 सदस्य बैठ सकते हैं। 13 मई, 1952 को दोनों सदनों की पहली बैठक हुई। 3 अगस्त, 1970 को तत्कालीन राष्ट्रपति वी.वी. गिरि ने संसद एनेक्सी की आधारशिला रखी।
24 अक्टूबर, 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संसद एनेक्सी का उद्घाटन किया था 15 अगस्त, 1987 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने संसद लाइब्रेरी की आधारशिला रखी थी।
संसद भवन इंडिया गेट के पास और राष्ट्रपति भवन से 750 मीटर की दूरी पर स्थित है। 1950 में संविधान लागू होने के बाद इसे भारतीय संसद का रूप दिया गया था।