Education
भारत का नया संसद भवन संशोधित सेंट्रल विस्टा परियोजना का हिस्सा है। वास्तुकार बिमल पटेल द्वारा डिजाइन की गई यह इमारत अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है।
नई इमारत का आकार त्रिकोणीय है। वास्तुकार बिमल पटेल के अनुसार, यह आकृति विभिन्न धर्मों में पवित्र ज्यामिति का भी संकेत है।
नया संसद भवन तीन मंजिला है और यह 64,500 वर्गमीटर में फैला है। लोकसभा कक्ष में मौजूदा 888 सीटें हैं, जिसे 1,272 तक विस्तारित करने का विकल्प है।
हरित निर्माण तकनीकों का उपयोग करके निर्मित, नई इमारत में पुराने की तुलना में बिजली की खपत 30 प्रतिशत कम होगी। अगले 150 वर्षों तक कार्य करने के लिए डिजाइन किया गया है।
बिल्डिंग कोड के अनुसार, चूंकि दिल्ली भूकंपीय क्षेत्र-V में है, इसलिए इमारत को भूकंप-सुरक्षित बनाया गया है। इमारत के लिए निर्माण सामग्री देश भर से लाई गई है।
धौलपुर के सरमथुरा से बलुआ पत्थर, जैसलमेर के लाखा गांव से ग्रेनाइट शामिल है। सजावट में उपयोग की जाने वाली लकड़ी नागपुर से है। यूपी भदोही बुनकरों ने हाथ से बुने हुए कालीन बनाए हैं।
राज्यसभा कक्ष को कमल की थीम पर लाल कालीन बिछाकर सजाया गया है। लोकसभा और राज्यसभा दोनों में एक बेंच पर दो सांसद बैठ सकते हैं और प्रत्येक सांसद के डेस्क पर एक टच स्क्रीन है।
राज्यसभा कक्ष में 384 संसद सदस्यों (सांसदों) के बैठने की क्षमता है। भविष्य की जरूरत के अनुसार इसे बढ़ाया भी जा सकता है।
नई इमारत में एक संविधान कक्ष है, जहां भारतीय लोकतंत्र की यात्रा का दस्तावेजीकरण किया गया है। नए भवन में छह नए समिति कक्ष हैं। मंत्रिपरिषद के कार्यालय के रूप में 92 कमरे हैं।
इमारत राष्ट्रीय प्रतीकों से परिपूर्ण है, जिसमें राष्ट्रीय प्रतीक अशोक का सिंह स्तंभ भी शामिल है। इंटीरियर थीम में कमल, मोर और बरगद के पेड़ का उपयोग किया गया है।
त्रिकोणीय शेप इमारत में तीन मुख्य द्वार हैं - ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार इसके अलावा वीआईपी, सांसदों और आगंतुकों के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार हैं।
नये संसद भवन को बनाने की लागत 1,200 करोड़ रुपये है। इसमें संस्कृति मंत्रालय द्वारा खरीदी गई कलाकृति के लिए 200 करोड़ रुपये शामिल हैं।