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नंदन नीलेकणि की एक गलती बनी उनकी सफलता की सबसे बड़ी वजह, जानिए कैसे?

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इंफोसिस के को-फाउंडर नंदन नीलेकणि की सफलता की कहानी

कहते हैं, कभी-कभी जिंदगी में जो चीजें हमारी योजना के हिसाब से नहीं होतीं, वही हमें हमारी असली मंजिल तक पहुंचा देती हैं। कुछ ऐसा ही हुआ इंफोसिस के को-फाउंडर नंदन नीलेकणि के साथ।

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IIM की परीक्षा छूटी, पर रास्ता खुल गया

IIT बॉम्बे से ग्रेजुएशन करने के बाद नंदन निलेकणी का प्लान था कि वे IIM परीक्षा देकर मैनेजमेंट की पढ़ाई करें। लेकिन परीक्षा वाले दिन तबीयत ठीक नहीं थी जिसकी वजह से एग्जाम छूट गई।

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बड़ा सवाल था कि अब क्या करें?

IIM एग्जाम छूटने के बाद SAT या GMAT के लिए फॉर्म भरने की आलस भी MBA न करने की वजह बनी। लेकिन फिर वे सोच में पड़ गए कि अब क्या करें? लेकिन किस्मत उन्हें एक नई दिशा देने वाली थी।

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एक छोटी टेक कंपनी में इंटरव्यू से शुरु हुई नई कहानी

नंदन नीलेकणि को उस समय मुंबई की एक छोटी टेक कंपनी Patni Computer Systems के बारे में पता चला। उन्होंने वहां इंटरव्यू दिया और एक प्रॉब्लम सॉल्व करने के बाद तुरंत जॉब मिल गई।

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नारायण मूर्ति से हुई मुलाकात

यहीं उनकी मुलाकात एन आर नारायण मूर्ति से हुई, जो आगे चलकर उनके बिजनेस पार्टनर और Infosys के को-फाउंडर बने।

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Infosys की शुरुआत और सफलता का सफर

साल 1981 में Infosys की नींव रखी गई, मूर्ति जी के विजन और नंदन नीलेकणि के नेतृत्व में कंपनी ने धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय पहचान हासिल की।

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2002 से 2007 तक Infosys के CEO रहे

नंदन नीलेकणि जब 2002 से 2007 तक Infosys के CEO रहे, उस दौरान कंपनी का रेवेन्यू लगभग 6 गुना बढ़कर 3 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया।

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हमेशा बड़े टारगेट सेट करते

नंदन नीलेकणि के अनुसार- हम हमेशा बड़े टारगेट सेट करते थे, पहले 100 मिलियन, फिर 1 बिलियन और फिर 10 बिलियन तक पहुंचने का।

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IIM का एग्जाम छूटने से मिली जिंदगी की सबसे बड़ी सीख

नंदन नीलेकणि को कभी अफसोस नहीं हुआ कि उन्होंने IIM का एग्जाम नहीं दिया। उनका कहना था, वो गलती ही मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी सीख थी। 

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IIM गया होता तो शायद Infosys कभी नहीं बनती

नंदन नीलेकणि कहते हैं कि अगर IIM गया होता या विदेश चला गया होता, तो शायद Infosys कभी नहीं बनती।

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नंदन नीलेकणि UIDAI चेयरमैन के रूप में

बता दें कि बाद में नंदन नीलेकणि ने भारत सरकार के UIDAI (आधार कार्ड प्रोजेक्ट) के चेयरमैन के रूप में भी देश के डिजिटल भविष्य की दिशा तय की।

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