विदेश में किसी व्यक्ति द्वारा एजुकेशनल पर्पस से भेजे गए 7 लाख रुपये से कम के पेमेंट पर कोई टीसीएस नहीं लगेगा।
लेकिन यदि यह 7 लाख रुपये से अधिक का है और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट ऑथराइज्ड है तो 0.5 प्रतिशत टीसीएस लगाया जाएगा। बिना लोन के इसकी लागत 5% टीसीएस है।
1 अक्टूबर, 2023 से, सभी विदेशी टूर पैकेज चाहे वह किसी भी कीमत के हों 5% टीसीएस लगेंगे। 7 लाख रुपये से अधिक की राशि पर 20% टीसीएस लगेगा।
1 अक्टूबर, 2023 से, मेडिकल के लिए कोई भी आउटगोइंग पेमेंट 7 लाख रुपये से अधिक है, तो 5% टीसीएस लगेगा।
प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 7 लाख रुपये से अधिक की सीमा से अधिक विदेशी निवेश जैसे अन्य उपयोगों के लिए इंटरनेशनल ट्रांसफर पर 20% का टीसीएस लागू किया जाएगा।
यानि आप किसी विशेष वित्तीय वर्ष में अंतरराष्ट्रीय इक्विटी, म्यूचुअल फंड, क्रिप्टोकरेंसी या रियल एस्टेट में 7 लाख से अधिक निवेश करते हैं, तो एक्स्ट्रा पर 20% टीसीएस का पे करना होगा।
क्रेडिट कार्ड से किए गए लेनदेन पर टीसीएस नहीं लगेगा। 1 अक्टूबर, 2023 से 7 लाख रुपये से अधिक के डेबिट और फॉरेक्स कार्ड लेनदेन पर 20% की दर से टीसीएस लगेगा।
वित्तीय वर्ष की पहली और दूसरी छमाही के लिए टीसीएस दरें अलग-अलग होती हैं, लेकिन रु. 7 लाख की सीमा पूरे वर्ष के लिए प्रभावी रहेगी।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की Liberalized Remittance Scheme(एलआरएस) के तहत कोई व्यक्ति प्रति वर्ष $250,000 तक भेज सकता है।
नॉन मेडिकल और एजुकेशनल पर्पस के लिए 7 लाख रुपये से अधिक के किसी भी पेमेंट पर 1 अक्टूबर, 2023 तक 20% का टीसीएस होगा।
अन्य पर्पस के लिए फॉरेन ट्रांसफर पर 7 लाख रुपये तक 5% की टीसीएस दर होगी, लेकिन यदि राशि 7 लाख रुपये से अधिक हो जाती है, तो लागत 20% तक बढ़ जायेगी।
टीसीएस एक टैक्स क्रेडिट है जिसे आयकर दाखिल करते समय या अग्रिम कर भुगतान करते समय बकाया करों पर लागू किया जा सकता है। आईटीआर जमा करते समय इसके रिफंड के लिए दावा कर सकते हैं।