सुभाष चंद्र बोस का जीवन साहस, संघर्ष से भरा था। 23 जनवरी, सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन को अब ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। जानिए सुभाष चंद्र बोस के साहस के 10 रोचक किस्से।
सुभाष चंद्र बोस जब जेल थे तब उन्होंने भागने की शातिर योजना बनाई और सफलता भी पाई थी। बोस ने जेल के एक कमरे की दीवार से एक सुरंग बनाई, जिससे वे बाहर निकलने में सफल रहे थे।
सुभाष चंद्र बोस को "नेताजी" की उपाधि मिली, जो उनके अद्वितीय नेतृत्व और साहसिक कार्यों के कारण था। यह नाम उन्हें भारतीयों ने सम्मान स्वरूप दिया, क्योंकि वह एक प्रेरणादायक नेता थे।
सुभाष चंद्र बोस ने 1942 में सिंगापुर में 'आजाद हिंद फौज' (INA) का गठन किया। इस सेना का उद्देश्य भारतीयों को ब्रिटिश साम्राज्य से मुक्ति दिलाना था।
यह प्रसिद्ध नारा सुभाष चंद्र बोस ने 1944 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा देने के लिए दिया। यह नारा आज भी भारतीयों में जोश और साहस भरता है।
1942 में सुभाष चंद्र बोस ने जापान के साथ मिलकर ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ युद्ध की घोषणा की। उन्होंने भारतीयों को अपनी आजादी के लिए खड़े होने के लिए प्रेरित किया।
सुभाष चंद्र बोस ने ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए जर्मनी और जापान से मदद प्राप्त की। उनका यह कदम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था।
1941 में, सुभाष चंद्र बोस ने बर्लिन रेडियो पर अपने प्रसिद्ध भाषण के दौरान भारतीयों से आह्वान किया, "आपका समय आ गया है, अब अपनी स्वतंत्रता के लिए उठ खड़े हो जाइए।"
1944 में, आजाद हिंद फौज ने ब्रिटिश सेना के खिलाफ एक बड़ी विजय प्राप्त की थी, जिससे भारतीयों में एक नई उम्मीद और विश्वास जगा।
सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर में 'आजाद हिंद सरकार' की स्थापना की, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक प्रतीक बन गई।
बोस ने 1939 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया, क्योंकि वे अहिंसा के सिद्धांतों से असहमत थे और आक्रमक तरीके से स्वतंत्रता संग्राम में विश्वास करते थे।