रक्षाबंधन का त्योहार सिर्फ भाई-बहन के रिश्ते की मिठास को ही नहीं, बल्कि बहादुरी और देश के लोगों की रक्षा को भी दर्शाता है।
रक्षा बंधन के खास अवसर पर जानिए भारत की उन 8 महिला आईपीएस ऑफिसर को, जिन्होंने अपने काम और लीडरशिप से पुलिस बल को नई दिशा दी, लोगों की रक्षा के लिए हमेशा खड़ी नजर आईं।
किरण बेदी ने 1972 में भारतीय पुलिस सेवा में शामिल होकर पुलिस विभाग में महिलाओं के लिए रास्ता खोल दिया। उन्हें तिहाड़ जेल में अपने सुधारात्मक काम के लिए विशेष रूप से जाना जाता है।
चारु निगम शहर में अपराध और कानून व्यवस्था को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए कई उपाय किए हैं।
मेरिन जोसेफ राज्य में अपराध और सुरक्षा मामलों की निगरानी करती हैं। उनके नेतृत्व में केरल ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के खिलाफ कई प्रभावशाली उपाय लागू किए हैं।
शालिनी अग्निहोत्री गाजियाबाद में अपराध की दर को कम करने और कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कई सफल अभियान चलाए हैं। वे महिला सुरक्षा के मुद्दों पर विशेष ध्यान देती हैं।
तेजस्विनी सतपुते पुणे शहर में अपराध नियंत्रण और सुरक्षा को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को लेकर सक्रिय हैं।
निवेदिता कुमार शहर में कानून और व्यवस्था को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। भ्रष्टाचार और अपराध के खिलाफ कई कार्रवाई की है और सामाजिक सुधार के लिए कई पहल की हैं।
अरुणा बहुगुणा उत्तराखंड की पूर्व पुलिस महानिदेशक हैं, जिन्होंने राज्य में पुलिस बल के सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महिला सुरक्षा, बच्चों के अधिकारों के लिए कई पहल की हैं।
नवजोत सिमी ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, जिनमें सुरक्षा अभियानों की योजना बनाना और कार्यान्वयन शामिल है। उनके नेतृत्व में कई जटिल मामलों का समाधान हुआ है।