सुधा मूर्ति जब स्कूल में थीं तब उनसे क्लास टीचर ने पूछा सुधा मॉनिटर बनोगी। सुधा मूर्ति ने हां कह दिया। इसके बाद टीचर सुधा के भरोसे क्लास छोड़ कर बाहर निकली।
मॉनिटर सुधा के भरोसे क्लास से बाहर गई टीचर जब वापस आई तो क्लास में बच्चे बहुत शोर कर रहे थे। तब उन्होंने सुधा मूर्ति से कहा तुम मॉनिटर बनने लायक नहीं हो।
तब सुधा मूर्ति ने टीचर से एक और मौका मांगा। टीचर ने उन्हें दूसरा मौका दे दिया।
अगली बार जब टीचर क्लास में आई तो देखा कि सभी बच्चे बहुत शांत हैं वे सुधा की बातें सुन रहे हैं। टीचर ने देखा सुधा बच्चों को कहानियां सुना रही थी।
यहां से सुधा मूर्ति के स्टोरी टेलिंग टैलेंट की पहचान हुई। उस टीचर ने सुधा की तारीफ की और कहा सुधा यह आपके बड़े लेखक बनने की शुरुआत है।
सुधा मूर्ति की पर्सनल लाइब्रेरी में 20 हजार से अधिक किताबें हैं। देश भर में 60 हजार से ज्यादा लाइब्रेरी बना चुकी हैं। और अब तक 1.5 करोड़ किताबें दान दे चुकी हैं।
सुधा मूर्ति की अंग्रेजी और कन्नड़ में लखी गई 150 किताबें बेस्ट सेलिंग बुक में से हैं।