झारखंड के सरायकेला खरसावां की पर्यावरण कार्यकर्ता चामी मुर्मू ने 500 से अधिक गांवों में पेड़ लगाने के लिए, यहां रहने वाले पुरुषों की इच्छा के विरुद्ध सैकड़ों महिलाओं को एकजुट किया।
36 साल की कड़ी मेहनत और 28 लाख से अधिक पेड़ लगाने के बाद, उन्हें झारखंड से इस साल 2024 में पद्मश्री अवार्ड के लिए चुना गया।
चामी मुर्मू का जन्म सरायकेला खरसावां के राजाजीनगर ब्लॉक के भुरसा गांव में हुआ। 52 वर्षीय इस महिला ने पेड़ लगाने की शुरुआत साल 1988 से की।
चामी मुर्मू ने 10वीं कक्षा तक पढ़ाई की है। कम उम्र में ही त्रासदी का सामना करना पड़ा जब पिता और बड़े भाई का निधन हो गया। वह अपने तीन भाई-बहनों और बीमार मां की एकमात्र सहारा बन गईं।
एक पर्यावरण कार्यकर्ता के रूप में उनकी यात्रा 1988 में शुरू हुई जब वह नौकरी के अवसरों की तलाश में अपने घर से 80 किमी दूर एक गांव में आयोजित एक बैठक में शामिल हुईं।
उन्होंने अपने गांव की 23 अन्य महिलाओं के साथ, यह सीखने की उम्मीद के साथ बैठक की कि एक महिला अपने परिवार के लिए कैसे काम कर सकती है और उसकी आर्थिक स्थिति को ऊपर उठा सकती है।
चामी को एहसास हुआ कि कई ग्रामीणों के पास खाना पकाने के ईंधन के विकल्प के रूप में कोयला नहीं है और वे इसके लिए पेड़ काट रहे हैं। तब उन्होंने बंजर भूमि में पेड़ लगाना शुरू कर दिया।
उन्होंने महिलाओं का एक नेटवर्क बनाया और 11 सदस्यों के साथ सहयोगी महिला संगठन स्थापित किया। उन्होंने राज्य सरकार की सामाजिक वानिकी योजना से समझौता किया और एक नर्सरी शुरू की।
गांव के पुरुषों को मंजूर नहीं था कि कोई महिला ऐसी शुरुआत करे। 1 लाख से अधिक पौधे लगाने के बाद 1996 में उन्हें बड़ा झटका लगा। जब गांव के पुरुषों ने उनके पूरे 1 लाख पौधे नष्ट कर दिए।
वह विचलित नहीं हुईं और फिर उसी जोश के साथ काम करना शुरू कर दिया। सरकार ने 2000 में उनके प्रयासों को मान्यता दी और उन्हें दिल्ली में 'इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्षमित्र पुरस्कार' मिला।
चामी ने 28 लाख से अधिक पेड़ लगाए हैं।सरायकेला खरसावां पिछड़े जिलों में से है जहां खेती बारिश पर निर्भर है। वे सिंचाई के लिए वर्षा जल संचयन टैंक जैसे वाटरशेड बनाने का काम कर रही है।
उन्होंने 2,800 स्वयं सहायता समूह बनाने, 30,000 महिलाओं को व्यवसाय शुरू करने के लिए बैंक ऋण दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्हें 2019 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से नारी शक्ति पुरस्कार मिला। 2024 में उन्हें पद्मश्री सम्मान दिया गया।