चंद्रमा की सतह की खराबी और घटती परिधि के कारण घंटों तक चलने वाले चंद्र भूकंप हैं। चंद्रमा के धीमे सिकुड़न से भविष्य के चंद्र मिशन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
पिछले कुछ मिलियन वर्षों में शीतलन या कूलिंग के परिणामस्वरूप चंद्रमा की परिधि लगभग 150 फीट कम हो गई है। यानी हमारा चंद्रमा थोड़ा-थोड़ा छोटा हो रहा है।
चंद्रमा की भंगुरता का कारण भूकंप से पड़नेवाली दरार जैसे दोष भी हैं। चंद्रमा के भूकंप आम भूकंपों की तरह नहीं होते हैं। वे घंटों तक जारी रहते हैं।
ये चंद्र भूकंप या मूनक्वेक भविष्य में चंद्रमा पर मिशनों और बसने वालों को खतरे में डाल सकते हैं।
शोधकर्ताओं ने भूस्खलन और भूकंप के संभावित केंद्र के रूप में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के करीब एक विशिष्ट क्षेत्र की पहचान की है।
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर भूकंप का केंद्र की पहचान से आगामी चंद्र मिशनों, विशेष रूप से नासा द्वारा प्रस्तावित क्रू आर्टेमिस III लैंडिंग के संबंध में चिंता पैदा करती है।
भूविज्ञानी टॉम वॉटर्स की चेतावनी के अनुसार दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में जमीनी कंपन पैदा करने में सक्षम चंद्रमा के भूकंप संभव हैं।
ऐसे में चंद्र चौकी प्लान बनाते समय नए थ्रस्ट फॉल्ट बनाने की क्षमता पर विचार किया जाना चाहिए।
चंद्रमा की सतह शुष्क, धूल भरी है। अरबों वर्षों में धूमकेतु, क्षुद्रग्रह इससे टकराते रहे, जिनके टुकड़े लगातार उछलते रहे हैं। जिससे इसकी सतह ढीली हुई, भूस्खलन,झटकों का खतरा पैदा हुआ।
जैसे-जैसे आर्टेमिस मिशन नजदीक आ रहा है, सुरक्षा संबंधी चिंताएं पैदा हो रही हैं। इस शोध का उद्देश्य चंद्रमा पर दोषों के बारे में और अधिक जानना है।
भविष्य के चंद्र खोजकर्ताओं के बुनियादी ढांचे और सुरक्षा के लिए इन चंद्र रहस्यों को हल किया जाना जरूरी है।
जैसा कि नासा क्रू आर्टेमिस मिशनों की तैयारी कर रहा है, अंतरिक्ष यात्रियों, मशीनरी और चंद्र बुनियादी ढांचे की सुरक्षा की रक्षा के लिए यह जरूरी है।