फ्रांसीसी महिला लॉरेंस वैन वासेनहोव का अजीबोगरीब मामला समाने आया है जिसमें उसने अपने नियोक्ता पर यह कहते हुए मुकदमा दायर किया है कि उसे 20 साल तक बिना काम किये सैलरी दी गई।
दरअसल फ्रांसीसी महिला लॉरेंस वैन वासेनहोव विकलांग हैं। ऐसे में उनका आरोप है कि उनके फिजिकल कंडिशन के कारण उनकी कंपनी ने उनके साथ काम को लेकर भेदभाव किया है।
लॉरेंस वैन वासेनहोव विकलांग हैं। टेलीकॉम दिग्गज ऑरेंज की एंप्लाई हैं। ऑरेंज द्वारा कंपनी का अधिग्रहण करने से पहले, वासेनहोव को 1993 में फ्रांस टेलीकॉम द्वारा नियुक्त किया गया था।
फ्रांस टेलीकॉम को महिला की जानकारी थी, कि उसके शरीर का एक हिस्सा लकवाग्रस्त था और वह मिर्गी से पीड़ित थी, इसलिए कंपनी ने महिला को एक ह्यूमन रिसोर्सेस रोल के लिए चुना था।
वासेनहोव ने साल 2002 तक एक सेक्रेटरी और ह्यूमन रिसोर्सेस के रूप में काम किया, लेकिन फिर उनका ट्रांसफर किया गया। उन्हें नया ऑफिस नहीं जचा लेकिन ऑरेंज ने एडजस्टमेंट से इनकार कर दिया।
टेलीकॉम दिग्गज ऑरेंज ने महिला के काम, ऑफिस में कोई बदलाव नहीं किया। कुछ भी बदलने के बजाय महिला को बिना काम के पूरा वेतन दिया गया।
द सन की रिपोर्ट के अनुसार, बिना कोई काम किए पूरी सैलरी पाना कई लोगों के लिए सुनहरा अवसर जैसा है, लेकिन महिला की मानें तो उनके लिए यह स्थिति बदतर है।
साल 2015 में महिला ने भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाते हुए सरकार और उच्च प्राधिकरण से शिकायत की। तब ऑरेंज ने स्थिति को सुलझाने के लिए मध्यस्थ नियुक्त किया लेकिन फिर भी स्थिति नहीं सुधरी।
वासेनहोवे के वकील का दावा है कि आइसोलेशन से वो डिप्रेशन की शिकार हुई। जबकि ऑरेंज ने कहा उसने अनुकूलित स्थिति में काम वापसी योजना बनाई, जो नहीं हुई, क्योंकि वह रेगुलर सिक लीव पर थी।