Women's Day: टांग गई पर इरादे अडिग, अरुणिमा ने शिखरों पर लहराया तिरंगा
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Women's Day: टांग गई पर इरादे अडिग, अरुणिमा ने शिखरों पर लहराया तिरंगा

महिला दिवस 2025: हौसला जिंदा है, तो कुछ भी असंभव नहीं
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महिला दिवस 2025: हौसला जिंदा है, तो कुछ भी असंभव नहीं

अरुणिमा सिन्हा का मानना है कि अगर आपका हौसला अटूट है, तो कोई भी कठिनाई आपको रोक नहीं सकती। उन्होंने अपनी कमजोरी को अपनी सबसे बड़ी ताकत में बदला और भारत का नाम गर्व से ऊंचा किया।

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जब अरुणिमा को चलती ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया
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जब अरुणिमा को चलती ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया

12 अप्रैल 2011,लखनऊ से दिल्ली जाते समय ट्रेन में कुछ लुटेरों ने उनकी चेन छीनने की कोशिश की विरोध करने पर उन्होंने अरुणिमा को चलती ट्रेन से बाहर फेंक दिया, जिससे उनका एक पैर कट गया।

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 नकली पैर को कमजोरी नहीं, ताकत बनाया
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नकली पैर को कमजोरी नहीं, ताकत बनाया

डॉक्टरों ने नकली पैर लगाने की सलाह दी, लेकिन अरुणिमा सिन्हा ने इसे अपनी ताकत बनाने का फैसला किया। उन्होंने पर्वतारोहण को अपनी नई मंजिल बनाया और इसके लिए कठोर ट्रेनिंग ली।

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माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली पहली दिव्यांग महिला बनी अरुणिमा सिन्हा

21 मई 2013, अरुणिमा सिन्हा माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली पहली दिव्यांग महिला बनीं। उनके इस सफर में पर्वतारोही बछेंद्री पाल का मार्गदर्शन अहम रहा।

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अरुणिमा सिन्हा ने अंटार्कटिका में बनाया नया वर्ल्ड रिकॉर्ड

जून 2019, जब तापमान -50 डिग्री तक था, तब उन्होंने अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी माउंट विंसन पर तिरंगा फहराया। यह कारनामा करने वाली वे दुनिया की पहली दिव्यांग महिला बनीं।

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हर मुश्किल को दी चुनौती

बर्फीले तूफान, कम ऑक्सीजन और जानलेवा ठंड- इन सबके बावजूद अरुणिमा सिन्हा ने कभी हार नहीं मानी। उनकी इच्छाशक्ति हर बाधा से मजबूत साबित हुई।

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संघर्ष और सफलता की मिसाल है अरुणिमा सिन्हा का जीवन

अरुणिमा सिन्हा का जीवन हमें सिखाता है कि असली ताकत शरीर में नहीं, बल्कि आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय में होती है। उन्होंने साबित किया कि कोई भी चुनौती आपके सपनों से बड़ी नहीं होती।

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 पर लें अरुणिमा सिन्हा से प्रेरणा

जोश, जुनून और जज्बे की मिसाल अरुणिमा की कहानी हर किसी के लिए प्रेरणा है। अगर आपके अंदर भी सपनों को पूरा करने का हौसला है, तो कोई भी मुश्किल आपको रोक नहीं सकती।

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