फिल्म इंडस्ट्री में बड़ा बनने से पहले रवि बासरूर ने दर्जी, मजदूर, सुनार और यहां तक कि घरों में पुताई तक करने का काम किया।
रवि बासरूर आज बॉलीवुड के साथ साउथ फिल्म इंडस्ट्री में एक बड़ा नाम हैं। लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि एक वक्त था जब उनकी जेब में खाने तक पैसे नहीं हुआ करते थे।
रवि बासरूर आज एक फिल्म में संगीत देने के लिए करोड़ों रुपए फीस चार्ज करते हैं, लेकिन कभी उनकी हालत इतनी खराब थी कि उन्हें पब्लिक टॉयलेट में सोना पड़ता था।
मेट्रो सागा को दिए गए एक इंटरव्यू में रवि बाररूर ने बताया कि वह एक गरीब परिवार के ताल्लुक रखते हैं। वह मूर्ति बनाने वाले परिवार में जन्मे। तंगी के कारण ज्यादा पढ़-लिख नहीं पाए।
रवि बासरूर ने बताया कि उन्हें कहीं नौकरी नहीं मिल रही थी। अपने परिवार का खर्च चलाने का उनपर बहुत दबाव था और इसी कारण वह अपनी किडनी तक बेचने को तैयार हो गए थे।
इंटरव्यू में रवि बासरूर ने बताया कि ना तो उनके पास रहने की जगह थी और ना खाना। वह मंदिरों में मिलने वाले भोजन से अपना पेट भरते थे।
अपने दोस्त की मदद से रवि बासरूर को एक कीबोर्ड मिला और एक रेडियो स्टेशन पर 15,000 रुपए की नौकरी मिल गई। उन्हें पहला ब्रेक अर्जुन ज्ञान के साथ मिला।
ब्रेक मिलने के बाद रवि बासरूर ने कभी मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने अभी तक करीब 64 फिल्मों में म्यूजिक दिया है।
हाल ही में रिलीज हुई सलमान खान की किसी का भाई किसी की जान में भी उन्होंने संगीत दिया है। इसके पहले उन्होंने केजीएफ 2, कज्बा, भोला, मार्शल जैसी फिल्मों में संगीत दिया है।