22 अक्टूबर 1937 को अफगानिस्तान के काबुल में पठान फैमिली में एक बच्चे का जन्म हुआ, जो बॉलीवुड का दिग्गज स्टार बना। हम बात कर रहे हैं कादर खान की।
सुन्नी मुस्लिम परिवार में जन्मे कादर खान का पालन-पोषण कमाठीपुरा की झुग्गी-बस्ती में हुआ। उनकी फैमिली काबुल से मुंबई शिफ्ट हुई थी।
कादर खान के पैरेंट्स का जब तलाक हो गया तो उनकी मां ने दूसरी शादी कर ली थी। लेकिन उनका सौतेला बाप खूब मारपीट करता था।
कादर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि हफ्ते में 3 दिन उनके परिवार को खाली पेट सोना पड़ता था। तब उन्होंने झुग्गी के अन्य बच्चों की तरह एक लोकल मिल में काम करने का फैसला लिया।
कादर के मुताबिक़, उनकी मां ने उनसे कहा था, "तुम्हारा 3 रुपए/दिन हमेशा एक जैसा रहेगा। लेकिन अगर तुम्हे गरीबी से निकलना है तो तुम्हारा पढ़ाई करना बहुत जरूरी है।"
मां की सलाह मान कादर ने स्कूलिंग, फिर मुंबई यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन, फिर सिविल इंजीनियरिंग में पोस्ट ग्रैजुएशन किया। उन्होंने एमएच सबू सिद्दिक कॉलेज में बतौर इंजीनियर काम भी किया।
कादर खान को पहला ब्रेक दिलीप कुमार ने फिल्म 'दाग' में दिया था, जिसके लीड हीरो राजेश खन्ना थे। बतौर राइटर उनकी पहली फिल्म 'जवानी दीवानी' थी, जिसके लिए उन्हें 1500 रुपए मिले थे।
कादर खान की कॉमिक टाइमिंग गोविंदा संग खूब जमती थी। दोनों ने साथ में 'कुली नं. 1', 'आंटी नं. 1', 'राजा बाबू' और 'साजन चले ससुराल' जैसी फिल्मों में काम किया था।
कादर खान ने पहली बार राजेश खन्ना स्टारर फिल्म 'रोटी' के डायलॉग्स लिखे थे, जिसके लिए उन्हें 1.21 लाख रुपए मिले थे। बाद में खन्ना की कई फिल्मों के डायलॉग्स कादर ने ही लिखे।
कादर ने अमिताभ बच्चन के लिए 'मिस्टर नटवरलाल', 'खून पसीना', 'दो और दो पांच', 'सत्ते पे सत्ता', 'इंकलाब', 'हम' और 'अग्निपथ' जैसी 22 फ़िल्में लिखीं, जिनमें से ज्यादातर ब्लॉकबस्टर रहीं।
अंतिम वक्त में कादर खान टोरंटो, कनाडा में रहते थे। वहीं, 31 दिसंबर 2018 को उन्होंने आखिरी सांस ली। उनके बेटे सरफ़राज़ ने इस बात की जानकारी शेयर की थी।